सोमवार, अप्रैल 29, 2019

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (29.04.2019 ) के अवसर पर विशेष गीत .... नृत्य बिना सूना रहता है - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

सदा सृष्टि में चलता रहता है, ऋतुओं का नर्तन।
नृत्य बिना सूना रहता है प्राणी मात्र का जीवन।

नृत्य सदा परिभाषित करता सुख-दुख के अनुभव को,
अपने सम्मोहन में रखता देव और दानव को,

धरा गगन को बांधे रहता, यह अदृश्य इक बंधन ।
नृत्य बिना सूना रहता है प्राणी मात्र का जीवन।

जड़-चेतन के बीच सेतु की भांति व्यापत रहता है,
नृत्य, जगत के दृश्य-पटल पर इक हलचल रखता है,

मुद्राओं के ताल मेल से खुलते सारे गोपन।
नृत्य बिना सूना रहता है प्राणी मात्र का जीवन।

नृत्य व्यक्त करता है मन की सारी मनोदशा को,
सूर्य, चन्द्रमा से संचालित करता दिवस, निशा को,

शिव का प्रिय, रसिया कान्हा का, नृत्य मर्म का दरपन।
नृत्य बिना सूना रहता है प्राणी मात्र का जीवन।
                     -------------



       मेरे इस गीत को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 30 अप्रैल 2019 में स्थान मिला है। जो कि अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day दि. 29.04.2019) पर लिखा गया था।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

यदि आप चाहें तो पत्रिका में मेरी ग़ज़ल इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...

http://yuvapravartak.com/?p=14174

http://yuvapravartak.com/?p=14174

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें