गुरुवार, फ़रवरी 28, 2019

ग़ज़ल .... वह अक्सर कहता है मुझसे - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

      आज दिनांक 28 फरवरी 2019 को "नवीन क़दम" वेबसाइट पर मेरी ग़ज़ल प्रकाशित हुई है। Please read & share....
   हार्दिक आभार "नवीन क़दम" 🙏
http://navinkadam.com/?p=3505
#Navinkadam #ग़ज़लवर्षा

ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह


बुधवार, फ़रवरी 27, 2019

ग़ज़ल ... उसे देखा नहीं कितने दिनों से - डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh

उसे देखा  नहीं  कितने दिनों से
सुकूं पाया नहीं  कितने  दिनों से

न पलकों से लगीं पलकें ज़रा भी
दिखा सपना नहीं कितने दिनों से

शज़र  तन्हा, परिन्दे  दूर  जाते
समा बदला नहीं कितने दिनों से

न पूछो दोस्तो अब हाल मेरा
पता अपना नहीं कितने दिनों से

नदी सूखी, हवा भी नम नहीं है
हुई "वर्षा" नहीं कितने दिनों से

ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह


मंगलवार, फ़रवरी 26, 2019

ग़ज़ल... शिकायत करें भी तो क्या - डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh


ज़िन्दगी से शिकायत करें भी तो क्या !
हर तरफ है शिकायत का मेला लगा ।

जबसे मैंने भी की दिल्लगी आपसे
रंग बदलने लगा चेहरा आपका ।

अब न कोई यहां जिसको अपना कहें
रास आती नहीं अब यहां की हवा।

जब भी चाहा करूं मैं भी मनमर्जियां
रोक लेते हैं रिश्ते मेरा रास्ता ।

हर किसी को मिले मीत जिसका हो जो
दिल से "वर्षा" के निकली है अब ये दुआ
        - डॉ. वर्षा सिंह

ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह

ग़ज़ल.... सुबह की ताज़ा हवा... डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh


सुबह की ताज़ा हवा में सांस ले लें दो घड़ी।
फिर वही होगा रुटिन और रोज़ जैसी हड़बड़ी।

दौड़ती सी, भागती सी ज़िन्दगी, मत पूछिये
जुड़ रही है किस तरह से एक से दूजी कड़ी

आप ही बतलाइए सच-झूठ में है फ़र्क क्या
अक्ल मेरी है ज़रा सी, आपकी बातें बड़ी

टीस देती हैं खरोंचे, देह रिश्तों की व्यथित
टूटता विश्वास हर पल,हर क़दम धोखाधड़ी

देश से बाहर गया वो लौट कर आया नहीं
मां- पिता का अब सहारा एक टूटी सी छड़ी।

ढेर सारी दिक्कतें हैं, राह बचने की नहीं
सामना करना ज़रूरी, सामने जो आ खड़ी

तेज़ है रफ़्तार "वर्षा" वक़्त की, चलना कठिन
कौन पीछे रह गया, देखें ये किसको है पड़ी
          - डॉ. वर्षा सिंह

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ग़ज़ल.... डॉ. वर्षा सिंह


शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि .... डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि
                 - डॉ. वर्षा सिंह

अपनी बदनियती छुपायी दोस्ती के जाप से।
दिल के टुकड़े कर दिये फिर विष बुझे शरचाप से।

हम यहां पर इश्क़ की चर्चा में थे मशगूल जब
उन पे हमला कर दिया आतंक ने चुपचाप से।

है क़सम हम दुश्मनों को अब सबक सिखलायेंगे
कह रहा हर देशवासी,आज अपनेआप से।

हर दफ़ा विश्वास पर आघात की आदत जिन्हें,
राग भ्रम की छेड़ते पाकीज़गी की थाप से।

लाल पुलवामा शहीदों के लहू से हो गया ,
किस तरह उबरेगा "वर्षा" ये हृदय संताप से।

                         - डॉ.वर्षा सिंह

#Pulwama

#पुलवामा   #ValentineDay  #valentine
#ग़ज़लवर्षा

पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि- डॉ. वर्षा सिंह

बुधवार, फ़रवरी 13, 2019

Happy Kiss Day

Dr. Varsha Singh

दो होंठों ने मिल कर
किया ईश्वर की नैसर्गिक संरचना का भान
किया सृजन के अद्भुत सोपानों का अनूठा संधान
और तब
लिखा गया मौन के आल्हाद का आख्यान
रचा गया सृष्टि के सुंदरतम संगीत का गान

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रविवार, फ़रवरी 10, 2019

🌼 वसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌼


🌼 वसन्त पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌼

सुन लो, यही कहानी है।
जीवन बहता पानी है ।

जी लो आज अभी जो है
बेशक़ दुनिया फानी है।

नैट- चैट की बातों में
चिट्ठी हुई पुरानी है।

पहले लव की शेष यही
सूखा फूल निशानी है।

सबके मन को भाये जो,
मीठी बोली- बानी है।

गर वसन्त है राजा तो,
"वर्षा" ऋतु की रानी है।
               - डॉ. वर्षा सिंह

#ग़ज़लवर्षा

शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2019

Happy Rose Day - Dr Varsha Singh


Dr. VARSHA SINGH

जब मेरे इश्क़ का चर्चा होगा।
ज़िक्र तेरे गुलाब का होगा। 

दीन-दुनिया से बेख़बर है वो,
उसने 'लव यू', उसे कहा होगा।

भर गई ताज़गी हवाओं में,
फूल कोई कहीं खिला होगा।

उसके होंठों पे मुस्कुराहट है,
उसने मैसेज अभी पढ़ा होगा

ठौर होगा जहां पे सावन का
वही "वर्षा" का भी पता होगा।
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Happy Rose Day - Dr. Varsha Singh

मंगलवार, फ़रवरी 05, 2019

ग़ज़ल .... शिकायत - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय मित्रों,
       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 05.02.2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

http://yuvapravartak.com/?p=9423

ग़ज़ल

ज़िन्दगी से शिकायत करें भी तो क्या !
हर तरफ है शिकायत का मेला लगा ।

जबसे मैंने भी की दिल्लगी आपसे
रंग बदलने लगा चेहरा आपका ।

अब न कोई यहां जिसको अपना कहें
रास आती नहीं अब यहां की हवा।

जब भी चाहा करूं मैं भी मनमर्जियां
रोक लेते हैं रिश्ते मेरा रास्ता ।

हर किसी को मिले मीत जिसका हो जो
दिल से "वर्षा" के निकली है अब ये दुआ
        - डॉ. वर्षा सिंह

http://yuvapravartak.com/?p=9423