शनिवार, दिसंबर 30, 2017

दुष्यंत कुमार की पुण्यतिथि पर विशेष

  
Dr. Varsha Singh
आज दुष्यंत कुमार की पुण्यतिथि 30 दिसम्बर पर सन् 2010 में लिखी एवं एक समारोह में पढ़ी अपनी यह ग़ज़ल यहां प्रस्तुत कर रही हूं।

  दुष्यंत की ग़ज़ल

आवाम की  आवाज़  है, दुष्यंत की ग़ज़ल
पीड़ित दिलों का साज़ है, दुष्यंत की ग़ज़ल

हिन्दी में ग़ज़ल को दिया पहचान अलग से
हिन्दी जगत की नाज़ है, दुष्यंत की ग़ज़ल

सच बोलने का हौसला, सबके दिलों में हो
सच का ही इक रिवाज़ है, दुष्यंत की ग़ज़ल

साकी, शराब, इश्क़ से बाहर निकाल कर
देती  नई  परवाज़   है, दुष्यंत  की  ग़ज़ल

सहरा  में  जैसे  ‘वर्षा’, मावस  में  रोशनी
सबसे अलग अंदाज़ है, दुष्यंत की ग़ज़ल
                ---///------///---

 
Dushyant Kumar
  हिंदी कवि 
और ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार का जन्म 1 सितम्बर, 1933 को हुआ था और निधन 30 दिसम्बर, 1975 को हुआ। हिन्दी ग़ज़ल के क्षेत्र में दुष्यंत एक कालजयी कवि हैं उनका लेखन का स्वर प्रासंगिक होने के कारण सड़क से संसद तक आज भी गुंजायमान होता है।

गुरुवार, दिसंबर 28, 2017

Inauguration of New Printing Plant of Dainik Bhaskar News Paper, Sagar Edition, Sagar

दैनिक भास्कर, सागर संस्करण के अत्याधुनिक प्रिंटिंग प्लांट के उद्घाटन  के उपरांत उस प्लांट से दिनांक 18.12.2017 को प्रकाशित प्रथम विशेष परिशिष्ट  में प्रकाशित डॉ शरद सिंह का लेख आप सबसे शेयर कर रही हूं।


I recited Saraswati Vandana, who written by me at Inauguration of New Printing Plant of Dainik Bhaskar, Sagar edition, held on 17.12.17.
Pictures at that moment of inauguration.
Thanks a lot Dainik Bhaskar.
हार्दिक धन्यवाद दैनिक भास्कर !
Hon'bl Shri Bhupendra Singh, Home Minister, MP Govt. Shri Shailendra Jain,MLA, Sagar, Shru Abhay Dare, Mayer, Sagar, Me Dr Varsha Singh & My Sister Dr Sharad Singh 
Dr Varsha Singh
Dr Varsha Singh
डॉ (सुश्री) शरद सिंह
डॉ (सुश्री) शरद सिंह Dr Sharad Singh

बुधवार, दिसंबर 27, 2017

Heartbeats: poetries dipped in nectar of life


          I am reading these days my Friend and Pretty Poetess Madhumita Sinha's latest poetry book "Heartbeats: poetries dipped in nectar of life". 📖
Everyone should be read this book, who believe in love and emotions. ❤
My views on Poetries of Madhumita

मंगलवार, दिसंबर 12, 2017

शाम ...

शुभ संध्या मित्रों,

फिर नयी इक शाम आई
साथ अपने  रात  लाई

एक मिसरा दोस्ती तो
एक मिसरा बेवफाई

कुछ यहां लिखना कठिन है
काग़जों पर रोशनाई

और कब तक बच सकेंगे
वक़्त की दे कर दुहाई

किस तरह स्वेटर बुनें हम
बीच से टूटी सलाई

क्या कहें " वर्षा" किसी को
ग़म हुए हैं एकजाई
   
     ❤ - डॉ. वर्षा सिंह