शुक्रवार, सितंबर 28, 2018

क्योंकि फ़र्क होता है - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

बेफ़िक्र
मस्तमौला
घुमक्कड़
बादलों को देख कर सोचती हूं
कभी मैं भी हो सकूंगी
इस क़दर बेपरवाह
न ऑफिस की चिंता
न घर का ख़्याल
मन में उपजते हैं कई बार ऐसे सवाल
शायद नहीं
क्योंकि फ़र्क होता है
आसमानी उड़ानों और ज़मीनी हक़ीक़त में
         - डॉ. वर्षा सिंह
Photo by Dr.Varsha Singh

Photo by Dr.Varsha Singh

Photo by Dr.Varsha Singh

समय के साथ - डॉ. वर्षा सिंह


Dr. Varsha Singh



समय के साथ
बदल जाते हैं लोग,
भवन,
विचार।
बदल जाता है भवनों का
स्थापत्य।
कल की महलनुमा इमारतें
आज तोड़े जाने का भय झेलती
खड़ी हैं निर्भीकता का लबादा ओढ़े
          - डॉ. वर्षा सिंह


#ilovephotography
#PhotographyByVarshaSingh
#architecture 

गांव के रास्ते - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh










गांव के रास्ते
अक्सर एक सरीखे दिखते हैं
सड़क किनारे खड़ी मोटर साईकिल
गुमठी में बैठे
चाय के इंतजार में देश -दुनिया की राजनीति पर बतियाते फुरसतिया बेरोज़गार
और चाय बिकने की ख़ुशी को महसूस करता अपनी धुन में मगन
धीमे-धीमे कुछ गुनगुनाता दूकानदार

गांव के रास्ते
अक्सर एक सरीखे दिखते हैं
         - डॉ. वर्षा सिंह
Photo by Dr. Varsha Singh

#ilovephotography
#Road
#village
#employment
#photography

गुरुवार, सितंबर 27, 2018

सच तो ये है (ग़ज़ल संग्रह) - डॉ. वर्षा सिंह



Dr. Varsha Singh

मेरे ग़ज़ल संग्रह " सच तो ये है " को on line प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर सम्पर्क कर सकते हैं.....

https://www.sapnaonline.com/shop/Author/dr.-varsha-singh
Sach To Yeh Hai - Ghazal Book, Author Dr.Varsha Singh, Ghazalkar
मेरे ग़ज़ल संग्रह " सच तो ये है " में संग्रहीत मेरी यह शीर्षक ग़ज़ल ......

रेशमी फूल हवा भी ताज़ा
ख़त मेरे नाम क्यों नहीं आया

दौड़ती, भागती हुई दुनिया
इस सड़क को कहीं नहींं जाना

सच तो ये है कि एक ख़ामोशी
कह रही आज शोर की गाथा

उम्र मेरी तमाम भीग गई
चूम कर वो गया मेरा माथा

धूप- " वर्षा " का ये अजब मौसम
बर्फ सी रात, दिन हुआ पारा
First flap of " Sach To Yeh Hai " - Ghazal Book, Author Dr.Varsha Singh


Second flap of " Sach To Yeh Hai " - Ghazal Book, Author Dr.Varsha Singh




रविवार, सितंबर 23, 2018

Congratulations My Sister Dr. (Sushri) Sharad Singh 🌹

सागर गौरव सम्मान डॉ.(सुश्री) शरद सिंह को
 
 विगत  दिनांक 21.09.2018 को सागर शहर की अग्रणी सामाजिक संस्था " विचार " द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय सागर नगर की  प्रतिभाओं के एक भव्य सम्मान समारोह में मेरी बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह को इस वर्ष से प्रारम्भ किए गए प्रथम " सागर गौरव सम्मान " से सम्मानित किया गया।




 स्थान था मैजेस्टिक प्लाजा, सागर का सभागार .... और शरद को यह सम्मान प्रदान करने वाले सागर शहर की हस्तियों में प्रमुख व्यक्ति थे...  कला गुरु विष्णु पाठक, योग गुरु विष्णु आर्य, पर्यावरणविद आशारानी मलैया, एकता समिति के संस्थापक रशीद भाई और   समाजसेवी, " विचार " संस्था के संस्थापक एवं बिजनेसमैन कपिल मलैया।

Sagar Gourav Samman 2018


केन्द्र शासन के पंडित गोविंद वल्लभ पुरस्कार ,राज्य स्तरीय रामेश्वर गुरू पत्रकारिता सम्मान पुरस्कार, प्रादेशिक वागीश्वरी सम्मान , विजय वर्मा कथा सम्मान आदि अनेक सम्मानों से सम्मानित वरिष्ठ लेखिका डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह द्वारा  लिखित विभिन्न विषयों पर लगभग पचास पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने शोषित, पीड़ित स्त्रियों के पक्ष में अपने लेखन के द्वारा हमेशा आवाज़ उठाई है। बुन्देलखण्ड की बेड़िया स्त्रियों पर केन्द्रित उनकी पुस्तक ‘पिछले पन्ने की औरतें’, महिला बीड़ी श्रमिकों पर केन्द्रित ‘पत्तों में कैद औरतें’ तथा स्त्री विमर्श पुस्तक ‘औरत तीन तस्वीरें’ मनोरमा ईयर बुक में शामिल की जा चुकी हैं। लिव इन रिलेशन पर उनके उपन्यास 'कस्बाई सिमोन' को राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर के अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनका एक और उपन्यास "पचकौड़ी" राजनैतिक और पत्रकारिता जगत की पर्तों का बारीकी से विश्लेषण करने वाला पठनीय एवं लोकप्रिय उपन्यास है।



   खजुराहो की मूर्तिकला विषय में पीएचडी , सागर की प्रतिष्ठित साहित्यकार, कथालेखिका एवं उपन्यासकार डॉ शरद सिंह वर्तमान में मध्यप्रदेश के सागर नगर में निवास करते हुए स्वतंत्र लेखन के कार्य के साथ नई दिल्ली से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका "सामयिक सरस्वती" में कार्यकारी सम्पादक का दायित्व निभा रहीं हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं सहित सोशल मीडिया पर वे लगातार अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं।
Dr. (Sushri) Sharad Singh

वे मानती हैं कि अधिकारों का ज्ञान और साहस ही स्त्रियों को शोषण-मुक्त जीवन दे सकता है। सागर से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र "सागर दिनकर" में उनका नियमित कॉलम "चर्चा प्लस" अनेक समसामयिक मुद्दों पर विश्लेषणात्मक लेखन के लिए प्रबुद्ध पाठकों के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। इससे पूर्व डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह सागर से ही प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र "आचरण" में अनेक वर्षों तक "बतकाव" शीर्षक का नियमित कॉलम लेखन कर चुकी हैं।


शनिवार, सितंबर 22, 2018

Excellence Award For Creator's 2018

Dr.Varsha Singh awarded by Excellence Award For Creator's 2018
दिनांक 20.09.2018 का अपरान्ह मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। इस दिन सागर नगर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखने वाले न्यूज चैनल "सागर टी.वी. न्यूज़ " ने सागर नगर की सृजनात्मक प्रतिभाओं के एक भव्य सम्मान समारोह में " एक्सीलेंस अवार्ड फॉर क्रियेटर्स 2018 " से मुझे और बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह को सम्मानित किया।
Dr. Sharad Singh Awarded by Excellence Award for Creator'' 2018


स्थान था रवीन्द्र भवन, सागर ...और सम्मानित करने वाली सागर शहर की विभूतियों में प्रमुख थे स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक कुलपति अनिल तिवारी, नगरपालिक निगम, सागर की प्रथम किन्नर महापौर कमला बुआ, वरिष्ठ अधिवक्ता ठा. चतुर्भुज सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवशंकर केसरी, डॉ. हरी सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के पत्रकारिता विभाग से सेवानिवृत्त डॉ. राकेश शर्मा, युवा समाजसेवी कुलदीप सिंह राठौर और सागर टी.वी.न्यूज के युवा, उत्साही, कर्मठ चैनल हेड शिवा पुरोहित।




बुधवार, सितंबर 19, 2018

गीत .. सवालों की कतारें - डॉ. वर्षा सिंह

Dr Varsha Singh
                             गीत
                     सवालों की कतारें
                       - डॉ. वर्षा सिंह

सुबह ताज़ा हवा में झर रहे थे, फूल पीले से
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में, बाल गीले से

सपन जो रात को देखा, खुली आंखों से अक्सर
किसी को हमसफ़र पाया नई राहों में अक्सर
अज़ब-सी कसमसाहट, लग रहे थे बंध ढीले से
सुबह ताज़ा हवा में झर रहे थे, फूल पीले से


शिक़ायत ज़िन्दगी से है, मगर क्या है न जाने
उदासी की वज़ह क्या है, कोई आए बताने
लिखे थे गीत जिस पर, लग रहे काग़ज़ वो सीले से
सुबह ताज़ा हवा में झर रहे थे, फूल पीले से

सवालों की कतारें कम नहीं होतीं ज़रा भी
हुई मुश्क़िल नहीं दिखता जवाबों का सिरा भी
हुए है चाहतों के पंख जैसे स्याह-नीले से
सुबह ताज़ा हवा में झर रहे थे, फूल पीले से
           -------------

शुक्रवार, सितंबर 14, 2018

हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं !

हिन्दी से प्यार
हर दिन त्यौहार

         भाषा ये देश की
       अपने परिवेश की

अपना सा लगता
सारा संसार

          सहज लिपि मनमोहक
               प्रीति की है द्योतक

सिमटा है इसमें
जीवन का सार

      - डॉ. वर्षा सिंह

Thanks Everyone 🙏

Dr. Varsha Singh


My blog " Varsha Singh " is selected as " Blog of the Week "

Thanks Readers
Thanks www.iblogger.prachidigital.in
& Thanks Everyone

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गुरुवार, सितंबर 13, 2018