Dr. Varsha Singh |
ज़िन्दगी से शिकायत करें भी तो क्या !
हर तरफ है शिकायत का मेला लगा ।
जबसे मैंने भी की दिल्लगी आपसे
रंग बदलने लगा चेहरा आपका ।
अब न कोई यहां जिसको अपना कहें
रास आती नहीं अब यहां की हवा।
जब भी चाहा करूं मैं भी मनमर्जियां
रोक लेते हैं रिश्ते मेरा रास्ता ।
हर किसी को मिले मीत जिसका हो जो
दिल से "वर्षा" के निकली है अब ये दुआ
- डॉ. वर्षा सिंह
ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह |
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