Dr. Varsha Singh |
बुंदेली गीत
- डॉ. वर्षा सिंह
ओ बड्डे, काय फिरत भैराने ।।
काय फिरत भैराने, ओ बड्डे
अपनो हाल बतइयो हमसे
करियो नाय बहाने ।
ओ बड्डे, काय फिरत भैराने ।।
कोऊ से तुम अब ना डरइयो
वोट डारबे खों तुम बी जइयो
देश के लाने कदम बढ़इयो
अपनो वोट डार के अइयो
लोकतंत्र त्यौहार हमाओ
ऊ में का शरमाने !
ओ बड्डे, काय फिरत भैराने ।।
भौजी संगे हंस के जइयो
प्रजातंत्र की गैल दिखइयो
वोटन को अधिकार बतइयो
तुम अपनो बी वोट गिरइयो
वोट -वोट मिलके नई संसद
नोनी खूब बनाने ।
ओ बड्डे, काय फिरत भैराने ।।
आज अबई जा कसम उठइयो
कोऊ की बातन में ना अइयो
जी को अपने ना बहकइयो
सोच समझ के बटन दबइयो
एक तुमाओ वोट है हीरा
ई को नाय गंवाने ।
ओ बड्डे, काय फिरत भैराने ।।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/05/2019 की बुलेटिन, " इसलिए पड़े हैं कम वोट - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंअत्यंत हार्दिक आभार 🙏
हटाएंसामयिक और सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंओंकार जी, आपकी टिप्पणी हेतु धन्यवाद 🙏
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, वर्षा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार ज्योति जी 🙏
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 8 मई 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुन्दर आदरणीय दी जी
जवाब देंहटाएंसादर