Dr. Varsha Singh |
अंतरराष्ट्रीय/ विश्व परिवार दिवस पर सभी सुधीजनों को समर्पित है....
जो समझ पाते नहीं घरबार की भाषा!
जान वो पाते नहीं परिवार की भाषा!
ज़िन्दगी तन्हा गुज़ारी शौक से लेकिन,
पढ़ न पाये वो यहां त्यौहार की भाषा!
हो न नफ़रत तब दिलों के दरमियां बेशक़,
एक हो जाये अगर संसार की भाषा!
दोस्ती जिसने कलम के साथ कर ली हो
रास कब आई उसे तलवार की भाषा !
द्वेष से हासिल कभी ख़ुशियां नहीं होतीं
क्लेश देती है सदा प्रतिकार की भाषा!
रूठ जाये कोई गर अपना कभी हमसे,
याद तब कर लीजिये मनुहार की भाषा!
है गुज़ारिश आपसे "वर्षा" की इतनी सी,
सीख लीजे आप भी अब प्यार की भाषा!
- डॉ. वर्षा सिंह
Happy International Family Day - Dr. Varsha Singh |
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