शुक्रवार, मार्च 19, 2021

फागुन की सौगात | गीत | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

गीत


फागुन की सौगात

- डॉ. वर्षा सिंह


जब से आया है मधुमास 

हुई जो खुशियों की बरसात।

यही है फागुन की सौगात।।


लाज भरा उषा-सा आंचल, शबनम से गहने 

सूरज पर न्योछावर सुधियां, चंदा पर सपने 

नेहा से सराबोर हैं दिन 

प्रणय से भीगी भीगी रात।

यही है फागुन की सौगात।।


हर पल माणिक, हर पल मुक्ता, हर पल है सोना 

तृप्ति-प्यास का अद्भुत संगम, पाकर क्या खोना !

निखरता रंगों का उल्लास 

निकलती खुशियों की बारात।

यही है फागुन की सौगात।।


बांहों के घेरे ने लिख दी, बंधन की कविता 

होठों के तटबंध तोड़ती, गीतों की सरिता 

बहती पोर-पोर रसधार 

हुई जो रंग-रंगीली बात।

यही है फागुन की सौगात।।


------------------

13 टिप्‍पणियां:

  1. बांहों के घेरे ने लिख दी, बंधन की कविता

    होठों के तटबंध तोड़ती, गीतों की सरिता .

    बस जी अब तो फागुन आ ही गया .... भीग गए इस रसधार में . सुन्दर भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका इस आत्मीयता भरी टिप्पणी के लिए 🙏

      हटाएं
  2. हर छंद बहुत हाई लाजवाब, होली के रंग भरी सौग़ात।

    जवाब देंहटाएं
  3. होली की रंगों से सराबोर कर गई आपकी रचना, सादर नमन आपको वर्षा जी

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर मोहक गीत, फागुन का बहुरंगी चित्र उपस्थित करता।
    प्यारी रचना वर्षाजी।

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद 🙏
      आपको भी अग्रिम शुभकामनाएं 🙏

      हटाएं
  6. हर पल माणिक, हर पल मुक्ता, हर पल है सोना
    तृप्ति-प्यास का अद्भुत संगम, पाकर क्या खोना !
    अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति..मनमोहक सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई वर्षा जी 🙏🌹🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार प्रिय मीना जी 🙏

      हटाएं
  7. बहुत प्यारा गीत
    पढ़कर आनन्द आ गया।
    आपको हार्दिक बधाइयाँ

    जवाब देंहटाएं