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Dr. Varsha Singh |
औरत
-डॉ. वर्षा सिंह
मां, बेटी, बहन, सहेली हूं, बेशक़ मैं तो इक औरत हूं।
पत्नी, भाभी ढेरों रिश्ते, मैं हर इक घर की इज़्ज़त हूं।
अपनी करुणा से मैंने ही, इस दुनिया को सींचा हरदम,
बंट कर भी जो बढ़ती जाती, ऐसी ममता की दौलत हूं।
राधा, मीरा, लैला बन कर, मैं चली प्रेम की राहों पर,
बन कर दुर्गा काली मैं ही, दुष्टों के लिये क़यामत हूं।
मैं सहनशीलता, धीरज का, पर्याय सदा बनती आई,
संकट का समय रहा जब भी, मैं बनी स्वयं की ताकत हूं।
"वर्षा", सलमा, सिमरन, मरियम, हो नाम भले कोई मेरा,
कह लो औरत, महिला, वूमन, आधी दुनिया की सूरत हूं।
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बेहतरीन,महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं वर्षा जी
जवाब देंहटाएंआपको भी महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय कामिनी जी 🙏
हटाएंYou need to be a part of a contest for one of the finest blogs on the web. I'm going to highly recommend this web site!
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🙏
हटाएंबहुत सुन्दर और हृदय स्पर्शी गीतिका।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏
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