सोमवार, जुलाई 27, 2020

श्रावण शुक्ला सप्तमी | वर्षा विचार | कहावतें | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

  प्रिय ब्लॉग पाठकों, आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है और आज सोमवार भी है ... श्रावण मास का चतुर्थ सोमवार। श्रावण सोमवार का अपना अलग महत्व है। शिव आराधना के लिए श्रावण सोमवार सर्वाधिक पवित्र दिन माना जाता है।
   श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि कवि संत तुलसीदास जी के जन्म की भी तिथि है, अतः आज तुलसीदास जी का चहुंओर स्मरण किया जा रहा है। विशेष रूप से साहित्यकार और धर्मप्रेमीजन तुलसीदास जी की जयंती मना रहे हैं।
  आज इस सप्तमी तिथि से संबंधित एक और बात मुझे स्मरण आ रही है और वह यह कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को वर्षा विचार भी किया जाता रहा है। अनेक कहावतें इससे जुड़ी हुई हैं जिन्हें मैं बचपन में अपने नाना जी से सुनती रही हूं। मेरे नाना ठाकुर संत श्याम चरण सिंह जी लोक से जुड़े हुए एक प्रबुद्ध व्यक्ति थे, असीम ज्ञान का भंडार थे, वे अनेक पुस्तकों के अध्ययन थे और अनेक भाषाओं के जानकार भी । मुझे और मेरी अनुजा सुश्री शरद को हमारे बचपन में वे अनेक ज्ञानवर्धक कथाएं, कहावतें, पहेलियां इत्यादि सुनाते थे। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को चंद्रमा की स्थिति, बादलों की स्थिति, हवा के प्रवाह की दिशा और सूर्योदय का समय इत्यादि को देखकर आगामी बारिश के प्रति अनुमान लगाया जाता था।
   संभवतः ये कहावतें आपने भी सुनी होंगी तथापि अपने नाना जी से सुनी हुई कुछ कहावतें जो मेरी स्मृति में मौजूद हैं, मैं आप सभी ब्लॉग पाठकों से शेयर करना चाहती हूं।

1- श्रावण शुक्ला सप्तमी चंदा दिखे तुरंत। 
या जल मिलहिं समुद्र में या तरणि, कूप भरंत।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि चंद्रमा शाम होते ही तुरंत दिखाई दे तो या पानी समुद्र में ही मिलेगा यानी अकाल पड़ेगा अथवा इतना अधिक पानी बरसेगा कि तालाब, कुएं लबालब मर जाएंगे।

2- श्रावण शुक्ला सप्तमी चंदा दिखे जो रात।
मैं जैहों पिय मालवा, तुम जैहो गुजरात।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि चंद्रमा रात में दिखाई देता रहे तो स्त्री अपने पति से कहेगी कि ऐ मेरे प्रिय, हम दोनों जीविकोपार्जन के लिए बिछुड़ जाएंगे...  मुझे मालवा जाना पड़ेगा और तुम्हें गुजरात जाना पड़ेगा यानी अकाल पड़ना निश्चित है।

3- श्रावण शुक्ला सप्तमी चंदा दिखे न रात।
हरियाले वन- खेत हों, सुखकारी बरसात।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि चंद्रमा रात भर दिखाई न दे तो जंगल - खेत सभी ओर हरियाली रहेगी और सुखदायक पर्याप्त वर्षा होगी। 

4- श्रावण शुक्ला सप्तमी गरजे अधि रात।
बरसै तो झूला पड़ै, बिन बरसे बरसात।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि आधी रात को बादलों की गर्जना सुनाई दे तो या तो पानी बरसेगा और सावन के झूले पड़ेंगे अथवा पानी बरसाये बगैर बादल उड़ जाएंगे।

5- श्रावण शुक्ला सप्तमी, छिपी के उगहिं भान।
तब लगि मेघ बरसिहैं, जब लगि देव उठान ।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि सूर्योदय के बाद भी सूर्य बहुत देर से दिखाई दे और सूर्योदय के समय पानी बरसता रहे तो देवोत्थानी एकादशी तक बरसात होती रहेगी। यानी श्रावण से ले कर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक भरपूर बरसात होती रहेगी।

6-  श्रावण शुक्ला सप्तमी, वायु बहे ईशान।
मन- मयूर नाचन लगै, हरषें सबहि किसान।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि हवा का प्रवाह नैऋत्य से ईशान की ओर रहे तो मन का मयूर नाच उठता है और कृषकों में प्रसन्नता छा जाती है यानी अच्छी बरसात होती है। 

7- श्रावण शुक्ला सप्तमी, थमे वायु की चाल।
दूर देश जैहैं पिया, नाव बंधाए पाल।

अर्थात् श्रावण शुक्ला सप्तमी तिथि को यदि हवा का प्रवाह थमा हुआ हो, वायु गतिमान नहीं हो तो जीविकोपार्जन के लिए स्त्री के पति को नाव में पाल बांध कर जल मार्ग से किसी दूसरे देश जाना पड़ेगा। अर्थात बारिश होने की बहुत कम संभावना रहेगी और अकाल की स्थिति निर्मित हो सकती है।
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