शुक्रवार, जुलाई 26, 2019

गीत... क्या कीजे - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

 छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित समाचार पत्र "नवीन क़दम" के बृहस्पतिवारीय साहित्यिक परिशिष्ट दि. 25.07.2019 अंक में मेरा गीत "क्या कीजे" प्रकाशित हुआ है। Please read & share...
Thanks Team "Naveen Kadam"

 गीत
                 क्या कीजे
                        - डॉ. वर्षा सिंह

याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
आंखों से छलका है पानी क्या कीजे
क्या कीजे, मन भूल न पाया है कुछ भी
प्यार की मीठी बोली बानी क्या कीजे

कच्चे मन में पक्का सा उत्साह लिए
दिल मिलते बिन दुनिया की परवाह किए
गहरी गहरी सांसे लंबी आह लिए
लिख लिख कर ख़त कितने पन्ने स्याह किए
एक था राजा एक थी रानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे

वीराने में गुलशन जैसे मिल जाते
सपनों वाले फूल गुलाबी खिल जाते
अनबोले से होंठ अचानक हिल जाते
घड़ी विदा की आती लम्हे छिल जाते
चुनरी- चोली सब कुछ धानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे

व्यर्थ बहाने हुए सभी ने जान लिया
इश्क में डूबे दिलवाले, पहचान लिया
एक ना होने देंगे इनको, ठान लिया
जाति धर्म के बंधन ने शमशान दिया
बात हो गई बहुत पुरानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे

काश मोहब्बत के भी अच्छे दिन आएं
इसी जहां में हमराही मंजिल पाएं
दीवारों के सारे झगड़े मिट जाएं
“वर्षा”- बूंदे नई- नई खुशियां लाएं
यही हमेशा हमने ठानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
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#गीतवर्षा
गीत... क्या कीजे - डॉ. वर्षा सिंह


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