गीत
जीवन
- डॉ. वर्षा सिंह
हंसी-खुशी, दुख-आंसू तब तक
जब तक भी यह जीवन है ।।
फिर अनंत तक का सफर अनवरत
टूटा हर एक बंधन है ।।
तिरस्कार, उपहास, मान के
सारे किस्से बेमानी
गागर सागर में डूबी तो
मिलता पानी से पानी
भुला हक़ीक़त मानव का मन
करता रहता नर्तन है ।।
साथ समय के नाम-ख्याति सब
भुला दिए जाते हैं
नई-नई घटनाएं लेकर
दिवस-वर्ष आते हैं
इस दुनिया की फ़ितरत सबको
भाता जो भी नूतन है ।।
आपस में संग्राम किस लिए
राग-द्वेष सब व्यर्थ यहां
हर पल धुंधले होते दर्पण
खो देते हैं अर्थ है यहां
जब तक "वर्षा" की रिमझिम है
तब तक भादों,सावन है ।।
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#गीतवर्षा #गीत #जीवन #सावन #सागर #रिमझिम #दर्पण
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-11-2020) को "अहोई अष्टमी की शुभकामनाएँ!" (चर्चा अंक- 3879) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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हार्दिक आभार आदरणीय डॉ.शास्त्री जी 🙏🍁🙏
जवाब देंहटाएंव्यवहारिक यथार्थ के धरातल पर प्रतिदिन की अनुभूतियों को बहुत सुन्दर भाव व शब्दों में पिरोया है आपने.. मैं जब भी आपका सृजन पढती हूँ मन्त्रमुग्ध हो उठती हूँ । अनुपम सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई वर्षा जी 🌹🌹
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना जी,
हटाएंआपके उद्गार पढ़ कर भावविह्वल हो उठी हूं मैं। आप सभी का स्नेह ही है जो मेरे सृजन को उत्तमता देता है... इसे मनग्राही बनाता है। हार्दिक आभार आपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए 🙏🌹🙏
मेरे ब्लॉगस् पर सदैव आपका स्वागत है।
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
आपस में संग्राम किस लिए
जवाब देंहटाएंराग-द्वेष सब व्यर्थ यहां
हर पल धुंधले होते दर्पण
खो देते हैं अर्थ है यहां ..वाह!मन को छूता बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी सराहनीय लेखनी।
सादर
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी 🙏
हटाएंतिरस्कार, उपहास, मान के
जवाब देंहटाएंसारे किस्से बेमानी
गागर सागर में डूबी तो
मिलता पानी से पानी - - उम्मीदों से लबरेज़ बहुत सुन्दर रचना - - साधुवाद नमन सह।
बहुत धन्यवाद आदरणीय शांतनु सान्याल जी.🙏
हटाएंआपस में संग्राम किस लिए
जवाब देंहटाएंराग-द्वेष सब व्यर्थ यहां
हर पल धुंधले होते दर्पण
खो देते हैं अर्थ है यहां
जब तक "वर्षा" की रिमझिम है
तब तक भादों,सावन है ।।
बहुत सही कहा आपने ... वर्षा है तो सावन भादों
तिरस्कार, उपहास, मान के
जवाब देंहटाएंसारे किस्से बेमानी
गागर सागर में डूबी तो
मिलता पानी से पानी.....
यही सत्य किसी की समझ में नहीं आता !