प्रिय ब्लॉग पाठकों, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिवस 02 अक्टूबर को हम सभी महात्मा गांधी जी का स्मरण कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। गांधी जी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे। वास्तविक अर्थों में वे महापुरुष थे। उनमें अनेक खूबियां थीं। उन जैसा बन पाना किसी के लिए भी आसान नहीं है।
राष्ट्रपिता गांधी हो जाना सबके बस की बात नहीं
- डॉ. वर्षा सिंह
सत्य अहिंसा को अपनाना सबके बस की बात नहीं
राष्ट्रपिता गांधी हो जाना सबके बस की बात नहीं
आजादी का स्वप्न देखना, देशभक्त हो कर रहना
बैरिस्टर का पद ठुकराना, सबके बस की बात नहीं
एक लंगोटी, एक शॉल में, गोलमेज चर्चा करना
हुक्मरान से रुतबा पाना, सबके बस की बात नहीं
आजादी जिसकी नेमत हो, वही आमजन बीच रहे
लोभ, मोह, सत्ता ठुकराना, सबके बस की बात नहीं
आत्मशुद्धि के लिए निरंतर, महाव्रती हो कर रहना
हंस कर सारे कष्ट उठाना, सबके बस की बात नहीं
सच के साथ प्रयोगों की "वर्षा" में शुष्क बने रहना
ऐसी अद्भुत राह दिखाना, सबके बस की बात नहीं
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सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 02-10-2020) को "पंथ होने दो अपरिचित" (चर्चा अंक-3842) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
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"मीना भारद्वाज"
आपकी इस सदाशयता के लिए
हटाएंहार्दिक आभार मीना भारद्वाज जी 🙏💐🙏
सबके बस की बात हो सकी होती तो कोई विशेष नहीं प्रतीत होता.
जवाब देंहटाएंजी हां, सही कह रही हैं आप आदरणीया प्रतिभा सक्सेना जी 🙏💐🙏
हटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी
हटाएं��������������
बहुत खूबसूरत पंक्तियां कि ''आत्मशुद्धि के लिए निरंतर, महाव्रती हो कर रहना
जवाब देंहटाएंहंस कर सारे कष्ट उठाना, सबके बस की बात नहीं'' बहुत खूब वर्षा जी
शब्दशः सत्य कहां है । बापू को नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंसचमुच गांधी होना आसान नहीं है !