Dr. Varsha Singh |
मेरे गीत को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 08 अगस्त 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=17357
गीत
सृजन हमारा ....
- डॉ. वर्षा सिंह
जीवन का जब छंद नया बन जाएगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पायेगा
भाषा केवल संप्रेषण तक ही नहीं रहे
भावों की सरिता बनकर निर्बाध बहे
रूप, बिंब, संदर्भ, अर्थ सब नूतन हों
शब्द-शब्द विस्तारित हो आल्हाद गहे
विषय वस्तु और कथ्य नया ले आएगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पायेगा
सिर्फ कल्पना ही हावी ना हो पाए
सच के नव आयामों से भी सज जाए
स्वयं बढ़े दृढ़ता से मुश्किल राहों पर
विचलन से बचने का गुर भी सिखलाए
प्रासंगिकता लेकर सबको भायेगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पाएगा
मनोराग के साथ बुद्धि का संगम हो प्रगतिशीलता का भी उसमें सरगम हो
अनुभव से वैचारिकता को पुष्टि मिले
लेखन मावस नहीं, वरन् वह पूनम हो
जीवन में नव दृष्टि, नयापन लाएगा
सृजन हमारा तभी रंग ला पाएगा
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#गीतवर्षा
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