शुक्रवार, मार्च 01, 2019

ग़ज़ल... जो मुल्क की सरहद पर रख्खे बुरी नज़र - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय मित्रों,
       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 01 मार्च 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

http://yuvapravartak.com/?p=11036

अब देख तुझसे कोई शिकायत न करेंगे।
पहले सरीखी लेकिन मुहब्बत न करेंगे ।

माना कि बुतपरस्ती पर है यकीं हमें,
लेकिन तेरे बुत की इबादत न करेंगे।

देना न वास्ता अब बुझते चिराग़ का ,
आंचल की ओट दे के हिफ़ाज़त न करेंगे।

जो मुल्क की सरहद पर रख्खे बुरी नज़र,
हम पेश उसको अपनी शराफ़त न करेंगे।

हो सामने जो तू तो नज़रें न मिलायें ,
ऐसी भी मगर "वर्षा" अदावत न करेंगे।

http://yuvapravartak.com/?p=11036

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