बुधवार, मार्च 27, 2019

ग़ज़ल... कह दिया मौसम ने - डॉ. वर्षा सिंह

Ghazal by Dr. Varsha Singh

कह दिया मौसम ने सब कुछ, किन्तु वो समझा नहीं
क्या पता समझा भी हो तो, कुछ कभी कहता नहीं

ज़िंदगी में यूं भी पहले उलझनें कुछ कम न थीं
की जो सुलझाने की कोशिश, कुछ मगर सुलझा नहीं

भीड़ में, एकांत में, गुलज़ार में, वीरान में
कौन जाने क्या हुआ है, मन कहीं लगता नहीं

इस क़दर बदले हुए हैं, बंधनों के मायने
है खुला पिंजरा, परिंदा अब मगर उड़ता नहीं

लाख कोशिश कीजिये, "वर्षा" यकीनन जानिये
लग कभी सकता किसी की, सोच पर पहरा नहीं

- डॉ. वर्षा सिंह





2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह, क्या पता समझा भी हो तो, कुछ कभी कहता नहीं.. क्या सुंदर अभिव्यक्ति है, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं