प्रिय ब्लॉग पाठकों, आज प्रस्तुत है मेरा यह गीत जिसके माध्यम से मैंने दीपावली पर बुंदेलखंड की सुहागिन स्त्री का चित्रण किया है....
गीत....
अमावस पूनम सी उजियार
- डॉ. वर्षा सिंह
रोशनी बिखरी आंगन द्वार
अमावस पूनम सी उजियार
नए गोरी के साज-सिंगार
रोशनी बिखरी आंगन द्वार
लक्ष्मी मैया सब सुख देना
मन की भोली चाह कहे
रात दिवाली रहे बरस भर
जगमग कातिक मास रहे
चढ़ा कर श्रद्धा से फिर फूल
सुहागिन मांगे सुख-संसार
रोशनी बिखरी आंगन द्वार
सिर-माथे पर आंचल डाले
हाथों पूजा-थाल लिए
तुलसी चौरे झुक कर रखती
माटी के अनमोल दिए
आंखों बसा सजन का रूप
अब तो सांस-सांस त्यौहार
रोशनी बिखरी आंगन द्वार
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#दीपावली #अमावस्या #बुंदेलखंड #सुहागिन #रोशनी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद शिवम कुमार पाण्डेय जी 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर गीत। दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंनितीश जी, दीपावली की शुभकामनाएं आपको भी 🌟🙏🌟
हटाएंबहुत सार्थक और सुन्दर।
जवाब देंहटाएंधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
आदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी,
हटाएंआपकी प्रशंसा पा कर मेरा गीत सार्थक हो गया। अत्यंत हार्दिक आभार 🙏
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌟🙏🌟
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत बहुत सुन्दर रचना |
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