Varsha Singh
कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
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शनिवार, दिसंबर 22, 2018
इन दिनों .... डॉ. वर्षा सिंह
इन दिनों
उमड़े हैं बादल इश्क़ के
हो रही है शायरी की "वर्षा".
.... और
भीगे हुए तन-मन में
जागी है सिर्फ़ एक उम्मीद
सिर्फ़ एक आशा.
कि छू लूं हंसी
चूम लूं ख़ुशी
.... और
पढ़ लूं तुम्हारे मन की भाषा.
- डॉ. वर्षा सिंह
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