मंगलवार, जून 05, 2018

Happy World Environment Day

प्रिय मित्रों,
       आज आप सबने विश्व पर्यावरण दिवस अपने - अपने तरीक़े से मनाया ही होगा। तो चलिये, इस विश्व पर्यावरण दिवस की संध्या में प्रस्तुत है मेरा एक बुंदेली गीत....
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      जे अपनी बुंदेली धरती बनहे सोनचिरैया
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बिन पानी के कूड़ा- माटी
हो गईं सबरी कुइयां
मारे -मारे फिरत ढोर हैं
प्यासी फिर रईं गइयां
गरमी की जे मार परी है
सूखे ताल- तलैया।।   बिन पानी के.....

सूरज तप रऔ ऐसोे जैसे
भट्ठी इतई सुलग रई
भीतर- बाहर, सबई तरफ जे
लू की लपटें लग रईं
कौन गैल पकरें अब गुइयाँ
मिलत कहूं ने छइयां ।।   बिन पानी के...

बांध रये सब आशा अपनी
मानसून के लाने
जब से झाड़- पेड़ सब कट गए
बदरा गए रिसाने
पूछ रये अब “वर्षा” से सब
बरसत काये नइयां ।।    बिन पानी के....

ईमें सोई गलती अपनई है
नाम कोन खों धरिये
मनयाई मानुस ने कर लई
को कासे अब कईये
अब ने जे गलती दुहरायें
कसम उठा लो भइया ।।    बिन पानी के....

ताल- तलैया गहरे कर लो
पौधे नए लगा लो
रहबो चइये साफ कुंआ सब
ऐसो नियम बना लो
जे अपनी बुंदेली धरती
बनहे सोनचिरैया ।।   बिन पानी के....
      -डॉ. वर्षा सिंह

#बुंदेलीबोल
#पर्यावरणदिवस

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