कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
होली दस्तक दे रही, वन, आंगन, घर, द्वार । मन फगुनाया जोहता रंगों का त्यौहार ।।
मौसम से करने लगी चाहत नये सवाल । उड़ने को आतुर हुआ सपनों भरा गुलाल ।
- डॉ. वर्षा सिंह
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