वर्षा जी मुग्धा नायिका आपके गीतों में अणु दर अणु गुंथी है .एक शब्द चित्र से आगे निकलके एक भाव चित्र ,एक मानसिक कुन्हासा प्रियतमा का मूर्त हो उठता है आपके गीतों में . नाट्य रूपांतरण किया है किरण बेदी ने .;
बबली जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें। आपको एवं आपके परिवार को भी ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
कापी के अध पन्ने फाड़ कर चुपके से , लिखने में ख़त अकसर , खनकी हैं हाथों की चूड़ियाँ . अब इससे अनुपम भाव मुद्रा क्या होगी "मुग्धा की "? अनुपम बिम्ब पनडुब्बी सा मन में पैठता सा ... बुधवार, ३१ अगस्त २०११ जब पड़ी फटकार ,करने लगे अन्ना अन्ना पुकार .... ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई
'चौंकी जब आहट से सीढियाँ' वाह वर्षा जी ! प्यारे सुकोमल प्रेमभावों को इतने सुन्दर गीत में पिरोया है .....एक-एक शब्द मोती जैसे चित्र का संयोजन पूर्व की भाँति अपूर्व.... मनहर गीत
इस रचना की दो-तीन बातें बहुत अच्छी लगीं ... * इसका भाव पक्ष इतना सबल है कि इसे बार-बार पढ़ने के बाद- भी मन नहीं भरता। ** इसके छोटे-छोटे बिम्ब जैसे सपनो को दस्तक, चौंकी सीढ़ियां, और अधपन्ने पर पत्र - चमत्कृत करते हैं।
मनोज कुमार जी, आपका स्नेह मेरे गीत को मिला...यह मेरा सौभाग्य है. आपकी इस गहन विश्लेणात्मक सुधी टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार। कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
मुग्धा की हम बात जोहते ,प्रौढा ,(प्रगल्भा )की मजबूरी ...कितनी और मुग्धायें हैं आपके साहित्य कोष में .....?कभी परुधा पर भी कलम चलायें ,प्रगल्भा भी अमर हो जायेगी .... आपकी ब्लोगिया दस्तक हमारे लिखे के आंच है ... शुक्रवार, २ सितम्बर २०११ खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...
मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ. किन शब्दों में इस अप्रतिम रचना की प्रशंशा करूँ...बेजोड़.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!!!
लोगो ने इतनी तारीफ कर दी है कि अब मैं क्या तारीफ करुं.....कुछ यादें मुखर हो आईं..सीधे शब्दे कभी-कभी सही में बांधते हैं...कुछ चूड़़ियों की चुभन है...वक्त ने खनकी चुड़ियों की आवाज का जादू तो ज्यादा नहीं रहने दिया..पर हां चुभन से पहले उसका अहसास जरुर कराया था....सुंदर और सरल कविता....
सुंदर,प्यारे, कोमल भाव.....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारे अहसासों की अभिव्यक्ति .....!
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों का सुन्दर चित्रण , बधाई
जवाब देंहटाएंप्यारे अहसासों की बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंईद के त्योंहार की हार्दिक शुभकामनायें
वाह बेहतरीन !!!!
जवाब देंहटाएंईद के त्योंहार की हार्दिक शुभकामनायें.... हैप्पी ईद :)
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत नाज़ुक से भाव ... खत लिखते समय चूड़ियाँ उतार क्यों नहीं दीं? :):)
जवाब देंहटाएंवर्षा जी मुग्धा नायिका आपके गीतों में अणु दर अणु गुंथी है .एक शब्द चित्र से आगे निकलके एक भाव चित्र ,एक मानसिक कुन्हासा प्रियतमा का मूर्त हो उठता है आपके गीतों में .
जवाब देंहटाएंनाट्य रूपांतरण किया है किरण बेदी ने .;
बहुत सुन्दर --
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति |
बधाई |
बहुत ही सुंदर....लाजवाब।
जवाब देंहटाएंडॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंअपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कुश्वंश जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं.... कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
यशवन्त माथुर जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया....
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
संजय कुमार चौरसिया जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
संजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद। हैप्पी ईद....
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरे गीत को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
वीरूभाई जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे सुधी साहित्यकार की बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है. बहुत-बहुत धन्यवाद।
रविकर जी,
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
वन्दना जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस उदारता ने मुझे भावविभोर कर दिया है.
मेरे गीत को तेताला पर प्रस्तुत करने के लिए आपको अत्यंत विनम्रतापूर्वक मेरा नमन........
वर्षा की ऋतु . छँई - छपाक में
जवाब देंहटाएंखत कैसे डालूँ मैं डाक में
पग में मर्यादा की बेड़ियाँ......
बहुत ही प्यारा और अल्हड़ सा गीत.
Er. सत्यम शिवम जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अरुण कुमार निगम जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर टिप्पणीस्वरुप लिखी आपकी पंक्तियों के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
मनभावन रचना :_
जवाब देंहटाएंवर्षा की ऋतु . छँई - छपाक में
जवाब देंहटाएंखत कैसे डालूँ मैं डाक में
पग में मर्यादा की बेड़ियाँ.....वाह: क्या बात है .बहुत प्यारा और मन भावन सुन्दर रचना... ब्धाई..
बहुत अच्छा लिखा है आपने जी.
जवाब देंहटाएंग़ज़ब ढाने लगी हैं चूड़ियाँ भी.
kitni mohak hain ye chudiyaan...
जवाब देंहटाएंकमलेश खान सिंह डिसूजा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.
बहुत-बहुत धन्यवाद।
माहेश्वरी कनेरी जी,
जवाब देंहटाएंआदरणीय अरुण कुमार निगम जी द्वारा मेरे गीत पर टिप्पणीस्वरुप लिखी गई पंक्तियों पर आपकी टिप्पणी के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कुंवर कुसुमेश जी,
जवाब देंहटाएंअपने गीत पर आपकी प्रशंसात्मक टिप्पणी पा कर मन प्रफुल्लित हो गया.....बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद।
रश्मि प्रभा जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसी विदुषी कवयित्री की बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।
बहुत सुन्दर और कोमल भाव के साथ बेहतरीन प्रस्तुती !
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
बबली जी,
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
आपको एवं आपके परिवार को भी ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
कापी के अध पन्ने फाड़ कर चुपके से ,
जवाब देंहटाएंलिखने में ख़त अकसर ,
खनकी हैं हाथों की चूड़ियाँ .
अब इससे अनुपम भाव मुद्रा क्या होगी "मुग्धा की "?
अनुपम बिम्ब पनडुब्बी सा मन में पैठता सा ...
बुधवार, ३१ अगस्त २०११
जब पड़ी फटकार ,करने लगे अन्ना अन्ना पुकार ....
ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई
आप बहुत खूबसूरत लिखती हैं.... और आप कि इस रचना को पढ़कर लगा मानो जैसे collage के दिन आँखों के सामने से गुज़र रहे हों शुभकामनायें.... :-)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंआभार।
beautifully expressed.
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंसादर..
बेहद कोमल अहसासों से युक्त कोमल सी मनभावन रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंख़त लिखते हुए चूड़ियों का खनकना.. शायद पहली बार पढ़ा हूं.. अदभुद कविता...
जवाब देंहटाएंkai manon mein bhaaynaayein
जवाब देंहटाएंkarne lagee ayhkheliyaan
sundar prastuti
वाह! कोमल एहसासों से सजी रचना...
जवाब देंहटाएंveerubhai ji,
जवाब देंहटाएंI am glad that you feel that way.
Thanks for your encouragement.
पल्लवी जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंनयी पुरानी हलचल में शामिल करने के लिए आभारी हूं !
आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं .
अनिल अवतार जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
Beautifully expressed.Thanks .
जवाब देंहटाएंडॉ॰ दिव्या श्रीवास्तव जी ZEAL ,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
संजय मिश्रा हबीब जी,
जवाब देंहटाएंबहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
साधना वैद्य जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसी विदुषी कवयित्री की बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है. बहुत-बहुत धन्यवाद।
अरुण चन्द्र रॉय जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" जी,
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद।
सुषमा 'आहुति' जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
kavita ji,
जवाब देंहटाएंThank you for visiting my blog!
It's pleasure to me .
"चौखट में छोर फंसा चुनरी का
जवाब देंहटाएंनाग चुभता है उंगली में मुंदरी का"
वाह - अप्रतिम
राकेश कौशिक जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
बहुत सुन्दर --
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति |
बधाई |
vidhya ji,
जवाब देंहटाएंIt's pleasure to me .
I feel honored by your comment.
सुंदर भावार्थ समेटे गीत बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat abhivaykti....
जवाब देंहटाएं'चौंकी जब आहट से सीढियाँ'
जवाब देंहटाएंवाह वर्षा जी !
प्यारे सुकोमल प्रेमभावों को इतने सुन्दर गीत में पिरोया है .....एक-एक शब्द मोती जैसे
चित्र का संयोजन पूर्व की भाँति अपूर्व....
मनहर गीत
इस रचना की दो-तीन बातें बहुत अच्छी लगीं ...
जवाब देंहटाएं* इसका भाव पक्ष इतना सबल है कि इसे बार-बार पढ़ने के बाद- भी मन नहीं भरता।
** इसके छोटे-छोटे बिम्ब जैसे सपनो को दस्तक, चौंकी सीढ़ियां, और अधपन्ने पर पत्र - चमत्कृत करते हैं।
ब्लॉग पर दस्तक और हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंप्राय : मन सकुचा कर सिमटा है,
लज्जा के आँचल में
लिपटा है सुनते ही सखियों की झिडकियां ...
जयकृष्ण राय तुषार जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे कवि एवं छंद के धनी रचनाकार की बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।
सागर जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरे गीत को मिला...यह मेरा सौभाग्य है.
आपकी इस गहन विश्लेणात्मक सुधी टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
veerubhai ji,
जवाब देंहटाएंThanks a lot.
बहुत ही कोमल भाव समेटे प्रेम पगी कब्यांजलि....शुभ कामनाएं एवं हार्दिक अभिनन्दन !!!
जवाब देंहटाएंमुग्धा की हम बात जोहते ,प्रौढा ,(प्रगल्भा )की मजबूरी ...कितनी और मुग्धायें हैं आपके साहित्य कोष में .....?कभी परुधा पर भी कलम चलायें ,प्रगल्भा भी अमर हो जायेगी ....
जवाब देंहटाएंआपकी ब्लोगिया दस्तक हमारे लिखे के आंच है ...
शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...
bahut sunder rachna, pashna man bhaya.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
चूड़ीयों की खनक का सुंदर प्रयोग। बधाई वर्षा सिंह जी इस सुंदर कविता के लिए॥
जवाब देंहटाएंkafi dino baad blog par aana hua abhi tak to bahut vyast thi.bahut sunder kavita bahut pyaare chitr ke saath padhne ko mili.badhaai.
जवाब देंहटाएंनजाकत के सभी प्रतिकों से सजी खुबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति. चूड़ियों की खनक से तो पकड़ा जाती हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर....लाजवाब।
जवाब देंहटाएंसहज अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.
जवाब देंहटाएंकिन शब्दों में इस अप्रतिम रचना की प्रशंशा करूँ...बेजोड़..
बहुत सुन्दर
प्रस्तुति !!!!
Very sweet and romantic poetry.
जवाब देंहटाएंhttp://belovedlife-santosh.blogspot.com
श्रीप्रकाश डिमरी जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
Babli ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your kind invitation.
veerubhai ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your encouragement.
prritiy---------sneh,
जवाब देंहटाएंThank you so much for liking the post .
You're always welcome on my blogs.
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे सुधी साहित्यकार की बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है. बहुत-बहुत धन्यवाद।
Rajesh Kumari ji,
जवाब देंहटाएंIt's a pleasure to have you on my blog, regards.
You're always welcome.
सुशील बाकलीवाल जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
P.N. Subramanian ji,
जवाब देंहटाएंI am very glad to see your comment on my poem. Hearty thanks.
Suresh kumar ji,
जवाब देंहटाएंHearty Thanks for your comment...
You are always welcome in my blog.
Vaanbhatt ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.
मदन शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
Santosh Kumar ji,
जवाब देंहटाएंIt's your kindness.Many-many hearty thanks to you.
लोगो ने इतनी तारीफ कर दी है कि अब मैं क्या तारीफ करुं.....कुछ यादें मुखर हो आईं..सीधे शब्दे कभी-कभी सही में बांधते हैं...कुछ चूड़़ियों की चुभन है...वक्त ने खनकी चुड़ियों की आवाज का जादू तो ज्यादा नहीं रहने दिया..पर हां चुभन से पहले उसका अहसास जरुर कराया था....सुंदर और सरल कविता....
जवाब देंहटाएंपसंद आई यह प्रस्तुति...बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंप्रेमाभिभूत नवयौवना के मनोभावों का सुंदर चित्रण ।
जवाब देंहटाएंलज्जा, श्रंगार और भोलापन ... प्रेम की मूक भाषा ... सभी कुछ तो है इन पंक्तियों में .... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत बढि़या ।
जवाब देंहटाएंboletobindas ji,
जवाब देंहटाएंIt's your kindness.Many-many hearty thanks to you.
समीर लाल जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
आशा जोगळेकर जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
दिगम्बर नासवा जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरे गीत को मिला...यह मेरा सौभाग्य है.
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
सदा जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.अनुगृहीत हूं ...
चौंकी जब आहट से सीढियाँ ............
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
'साहिल' जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंवर्षा जी, आपका अंदाजे बयां और प्रस्तुति दोनों लाजवाब होती हैं।
जवाब देंहटाएं------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
कोमल अहसासों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंवर्षा जी, आपने मधुर भावों की सुन्दर वर्षा
जवाब देंहटाएंकरके मंत्रमुग्ध कर दिया है मुझे.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.मेरी हर पोस्ट आपका दर्शन
और आशीर्वाद चाहती है.
अंकित पांडेय जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अनुराग शर्मा जी, Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं ... विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
कैलाश सी. शर्मा जी जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे सुधी साहित्यकार की बहुमूल्य टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ाया है. बहुत-बहुत धन्यवाद।
NEELKAMAL VAISHNAW ji,
जवाब देंहटाएंIt's your kindness.
Hearty thanks for your comment on my poem. Your always welcome...
Rakesh Kumar ji
जवाब देंहटाएंIt's a pleasure to have you on my blog, regards...
वाह! खुल गई दिमाग की खिड़कियां :)
जवाब देंहटाएंचंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
सुन्दर सुकोमल लजाती इतराती इठलाती कविता !
जवाब देंहटाएंअरविंद मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना मेरे गीत को मिली...यह मेरा सौभाग्य है.
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
हमेशा की तरह बहुत ही कोमल और प्यारी सी रचना.
जवाब देंहटाएंसपना निगम जी,
जवाब देंहटाएंअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
http://premchand-sahitya.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंयदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |
यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |
देवेन्द्र पाण्डेय जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अवनीश सिंह जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
ऐसा कौन होगा जिसे प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द न हों...
आपके इस आमन्त्रण के लिए आभार...