सोमवार, जून 11, 2018

आ गए फिर बारिशों के दिन

आ गए फिर बारिशों के दिन

गगन में
दूर तक बादल
हवायें कर रहीं हलचल
उमड़ती ख़्वाहिशों के दिन

धरा पर
बूंद की रिमझिम
नयी फिर छेड़ती सरगम
गए अब गर्दिशों के दिन

हुए इक
ताल और पोखर
गले मिलते परस्पर
भुला कर रंज़िशों के दिन

🌺 - डॉ. वर्षा सिंह

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