Er. सत्यम शिवम जी, आपने मेरे गीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है इस हेतु मैं आपकी आभारी हूं. आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं. "चर्चा मंच" पर शनिवासरीय चर्चा में मेरे गीत को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार .
vershaji main pahali baar aapke blog main aai hoon aapki kavitaa bahut hi achchi lagi.virah vedanaa ko ujaager karati hui bahut hi sambedansheel rachanaa.chitra bhi bahut sunder lagayaa hai aapne.badhaai sweekaren.
प्रेरणा अर्गल जी, मेरे ब्लॉग्स में आपका स्वागत है. यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया.... इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें.
जर्नल पीडयाट -रिक्स में प्रकाशित एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ शहराती क्षेत्रों में रहने वाले तथा पद प्रतिष्ठा में समाज के निचले पायेदान पर खड़े परिवारों के बाल -गोपाल ही अकसर स्कूल पैदल या फिर साइकिल पर जातें हैं .इसका इन तबको के बच्चों की सेहत पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है । अध्ययन में कनाडा में रहने वाले ६-१६ साला ७,००० बच्चों को शरीक किया गया था ,स्कूल में बिताई तमाम अवधि के दौरान इनका पूरा स्वास्थ्य सम्बन्धी ब्योरा जुटाया गया ,पता चला ६-१०साला बच्चे चलके या फिर साइकिल पे स्कूल जाने को यानी एक्टिव ट्रांसपोर्टेशन को वरीयता देतें हैं ,स्कूल बस ,कार और जन -परिवहन के ऊपर ये पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पसंद करतें हैं । बच्चों की आदर्श बढ़वार केसन्दर्भ में यह एक महत्व -पूर्ण अध्ययन रहा है . क्योंकि अधिकाँश बच्चे शारीरिक श्रम और कसरत के पैमाने पर आदर्श स्थिति के अनुरूप नहीं चल रहें हैं । अध्ययन में शामिल माहिरों के अनुसार एक्टिव ट्रांसपोर्टेशन बच्चों की दैनिकी को पर्याप्त हरकत और आवश्यक व्यायाम से भरने का सहज सरल और अनुकरणीय तरीका है . हींग लगे न फिटकरी रंग चौखा ही चौखा .हमने कल ही अपनी पोस्ट में कनाडा में जन परिवहन की सहज सुलभता का उल्लेख किया था .आबादी कम जन परिवहन के साधन ज्यादा । फिर निम्न तबके के बच्चों के लिएतो एक्टिव ट्रांसपोर्टेशन यानी पैदल या साइकिल से स्कूल जाना , इसे अपनाना आसान भी है घर के पास के ही स्कूल में ये दाखिला लेतें हैं । कारें इन परिवारों के बच्चों की पहुँच से बाहर रहतीं हैं ,निजी स्कूल का दायरा भी ,क्योंकि घर से दूर ये जा नहीं सकते .निजी स्कूल एक दम से आपके पड़ोस में होतें नहीं हैं .खासकर उन क्षेत्रों के जहां इस तबके की रिहाइश होती है । अध्ययन के मुताबिक़ शहरी क्षेत्र के बच्चों द्वारा स्कूल पहुँचने में तय की गई दूरी औसतन ०.८ किलोमीटर थी जबकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए घर से स्कूल की यह दूरी औसतन १८.५ किलोमीटर थी . अध्ययन से पता चला दस सालसे ऊपर के बच्चे एक्टिव ट्रांस -पोर्टेशन से छिटकने लगतें हैं . इसकी एक वजह एलिमेंटरी स्कूल से मिडिल स्कूल में पदार्पण होता है .और ये स्कूल घर से दूर होतें हैं .अब बड़े बच्चों की देखा देखी ये जन परिवहन की और मुड़तें हैं । माहिरों के अनुसार एक्टिव ट्रांस -पोर्टेशन का स्कोप इस स्थिति में भी मौजूद रहता है ज़रुरत इस स्थिति को बढ़ावा देने की है .प्रोत्साहित करने की है । गत वर्ष संपन्न एक अधययन से निष्कर्ष निकाला गया -६-८ साला बच्चों ने तीन साल तक एक्टिव -ट्रांसपोर्टेशन अपना कर अपना बॉडी मॉस इंडेक्स कमतर बनाए रखा .बेशक सड़क सुरक्षा एक मुद्दा है लेकिन माँ -बाप इसमें मदद गार बनके कुछ दिन के लिए आगे आ सकतें हैं .नेक काम में देरी कैसी ? सन्दर्भ -सामिग्री :- http://thechart.blogs.cnn.com/2011/07/04/whos-walking-to-school/?hpt=he_क२ हु इज वाकिंग तू स्कूल .?
किन्तु जाने किस डगर पर , दिल गया , जल गए दीपक उजाला मिल गया ,किन्तु जाने किस डगर पर दिल गया । विरह का प्रगाढ़ होता भाव । सांझ के ढलने के साथ। विरह ही तो श्रृंगार पक्ष का श्रृंगार है .
Dekhiye us taraf Ujaalaa hai , jis jagaah roshni nahin jaati . ujaale me raho ,ojaalaa failaao , shubhkaamnaa hai . Transliteration is non -operative since morning .
Varsha ji, maine pahle bhi aapke blogs padhe hain.. sach mein bahut anand aata hai aapke blogs padhke... bas kabhi aapko aapki lekhni ke liye congrats nahi kiya... bahut-bahut badhai aur vishesh aabhar humare blog par aakar mera haunsala badhane ke liye..
भोर होते छा गई कैसी उदासी , क्या किसी की याद आई ,ओ विरह व्याकुल प्रवासी .(प्रवासी के गीत -नीरज ). नै ग़ज़ल ,गीत ,कविता आवाहन करती है कवयित्री का आओ मुझे आशीषो .
nari mn ke sukoml slaune v mnohari antrbhav bdi niponta se piroye hai" bhut see barikyan foolon me hain aur bhut khushboo luta kr khush hain ve " bhuit 2 bdhaiyan swikar kren mere blog pr aap ne tippni kee haardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kr len aap ke sahity pr shodh ho skta hai ydi aap chahe to smprk kr len 09868842688
जज्बातों को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने .....आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...प्रेमपगे प्यारे अहसास ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय वर्षा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद
सुखद अहसास हुआ इसे पढ़ कर ! बहुत सुन्दर !
करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
वाह ! कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं ... मन मोह लिया इस चित्र ने तो !
जवाब देंहटाएंwaah! apki panktiya pad kach me kisi ki bhut yaad aayi.....
जवाब देंहटाएंवाह... वर्षा जी बेहद खूबसूरत कविता , अंतर्मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ, बधाई
जवाब देंहटाएंpyaari rachna
जवाब देंहटाएंवर्षा जी ,
जवाब देंहटाएंवाह...वाह .. बेहद खूबसूरत कविता
जुदाई के आलम का बखूबी चित्रण किया है आपने.
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया....
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें.
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
संजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
सुषमा'आहुति' जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपका सदा स्वागत है।
कुश्वंश जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
रश्मि प्रभा जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरे गीत को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
संजय कुमार चौरसिया जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया....
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें.
कुवंर कुसुमेश जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
संजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंबदलते हुए मौसम में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए...
आपके सदा स्वस्थ रहने की कामना करती हूं.
संजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंपुनः हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
एक शास्वत प्रेम रचना के लिए नमन
जवाब देंहटाएंDil ke jajbato ko bakhubi piroya hai....... Bahut sundar...... Dhanywad
जवाब देंहटाएंlate se aaya | badhai |
जवाब देंहटाएंravikar
touching poem
जवाब देंहटाएंnice pic
Behad sundar rachana!
जवाब देंहटाएंबबन पांडेय जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपका सदा स्वागत है।
अविनाश मिश्र जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद! कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
रविकर जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है!
sm,
जवाब देंहटाएंThank you for visiting my blog!
Er. सत्यम शिवम जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरे गीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है इस हेतु मैं आपकी आभारी हूं.
आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं.
"चर्चा मंच" पर शनिवासरीय चर्चा में मेरे गीत को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार .
क्षमा जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
prem ras mein sarobar kavita
जवाब देंहटाएंरोशी जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
वाह!! बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइस तरह से तेरी याद आयी ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
मन के उदगार , प्रियतम से विछोह के कारण उपजा असुरक्षा किस तरह घनीभूत होती है , इन पंक्तियों ने मन मोह लिया. आभार
जवाब देंहटाएंसमीर लाल जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
vershaji main pahali baar aapke blog main aai hoon
जवाब देंहटाएंaapki kavitaa bahut hi achchi lagi.virah vedanaa ko ujaager karati hui bahut hi sambedansheel rachanaa.chitra bhi bahut sunder lagayaa hai aapne.badhaai sweekaren.
please visit my blog.thanks.
गाफिल जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद! कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
वाणी गीत जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपका सदा स्वागत है।
आशीष जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
संवाद बनाए रखें.
प्रेरणा अर्गल जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग्स में आपका स्वागत है.
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया....
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें.
खूबसूरत शब्दों में तन्हाई बयाँ की है ...
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
पूर्व की भाँति अपूर्व .........
जवाब देंहटाएंकोमल भावों का सुन्दर श्रृंगारिक गीत
चित्र का संयोजन ....बेमिसाल
हर तरफ फैली हुई तन्हाइयां और गहरी हो रहीं खामोशियां...
जवाब देंहटाएंक्या कहने, वाकई बहुत सुंदर के भाव के साथ लिखी गई ये रचना।
आपको बहुत बहुत बधाई
badhai...iss khubsurat rachna ke lye..saath me chitra bhi pyari si lagate ho aap:)
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह अद्भुत है आपका गीत वर्षा जी,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुरेन्द्र सिंह झंझट जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
mahendra srivastava ji,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार ....विचारों से अवगत कराने के लिए. हार्दिक धन्यवाद.
Mukesh Kumar Sinha ji,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
मेरे ब्लॉग पर हमेशा स्वागत है।
Vivek Jain ji,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर अपने विचार प्रकट करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब लगा! बधाई!
जवाब देंहटाएंजहर सी जुदाई का आलम बेमिशाल है
जवाब देंहटाएंवर्षा जी, आपका यह एक अनुपम ही ख्याल है.
क्या ही सुन्दर गीत और उसपर हुई ताल है.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,यह 'चाहत' का काल है.
उनकी यादें हो ... और जुदाई हो ... तब तो हर शै ज़हर लगती है ... चित्र के साथ लिखने की ये अदा लाजवाब है ..
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण और सुन्दर..अहसास मन को छू जाते हैं..
जवाब देंहटाएंजर्नल पीडयाट -रिक्स में प्रकाशित एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ शहराती क्षेत्रों में रहने वाले तथा पद प्रतिष्ठा में समाज के निचले पायेदान पर खड़े परिवारों के बाल -गोपाल ही अकसर स्कूल पैदल या फिर साइकिल पर जातें हैं .इसका इन तबको के बच्चों की सेहत पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है ।
जवाब देंहटाएंअध्ययन में कनाडा में रहने वाले ६-१६ साला ७,००० बच्चों को शरीक किया गया था ,स्कूल में बिताई तमाम अवधि के दौरान इनका पूरा स्वास्थ्य सम्बन्धी ब्योरा जुटाया गया ,पता चला ६-१०साला बच्चे चलके या फिर साइकिल पे स्कूल जाने को यानी एक्टिव ट्रांसपोर्टेशन को वरीयता देतें हैं ,स्कूल बस ,कार और जन -परिवहन के ऊपर ये पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पसंद करतें हैं ।
बच्चों की आदर्श बढ़वार केसन्दर्भ में यह एक महत्व -पूर्ण अध्ययन रहा है . क्योंकि अधिकाँश बच्चे शारीरिक श्रम और कसरत के पैमाने पर आदर्श स्थिति के अनुरूप नहीं चल रहें हैं ।
अध्ययन में शामिल माहिरों के अनुसार एक्टिव ट्रांसपोर्टेशन बच्चों की दैनिकी को पर्याप्त हरकत और आवश्यक व्यायाम से भरने का सहज सरल और अनुकरणीय तरीका है . हींग लगे न फिटकरी रंग चौखा ही चौखा .हमने कल ही अपनी पोस्ट में कनाडा में जन परिवहन की सहज सुलभता का उल्लेख किया था .आबादी कम जन परिवहन के साधन ज्यादा ।
फिर निम्न तबके के बच्चों के लिएतो एक्टिव ट्रांसपोर्टेशन यानी पैदल या साइकिल से स्कूल जाना , इसे अपनाना आसान भी है घर के पास के ही स्कूल में ये दाखिला लेतें हैं ।
कारें इन परिवारों के बच्चों की पहुँच से बाहर रहतीं हैं ,निजी स्कूल का दायरा भी ,क्योंकि घर से दूर ये जा नहीं सकते .निजी स्कूल एक दम से आपके पड़ोस में होतें नहीं हैं .खासकर उन क्षेत्रों के जहां इस तबके की रिहाइश होती है ।
अध्ययन के मुताबिक़ शहरी क्षेत्र के बच्चों द्वारा स्कूल पहुँचने में तय की गई दूरी औसतन ०.८ किलोमीटर थी जबकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए घर से स्कूल की यह दूरी औसतन १८.५ किलोमीटर थी .
अध्ययन से पता चला दस सालसे ऊपर के बच्चे एक्टिव ट्रांस -पोर्टेशन से छिटकने लगतें हैं .
इसकी एक वजह एलिमेंटरी स्कूल से मिडिल स्कूल में पदार्पण होता है .और ये स्कूल घर से दूर होतें हैं .अब बड़े बच्चों की देखा देखी ये जन परिवहन की और मुड़तें हैं ।
माहिरों के अनुसार एक्टिव ट्रांस -पोर्टेशन का स्कोप इस स्थिति में भी मौजूद रहता है ज़रुरत इस स्थिति को बढ़ावा देने की है .प्रोत्साहित करने की है ।
गत वर्ष संपन्न एक अधययन से निष्कर्ष निकाला गया -६-८ साला बच्चों ने तीन साल तक एक्टिव -ट्रांसपोर्टेशन अपना कर अपना बॉडी मॉस इंडेक्स कमतर बनाए रखा .बेशक सड़क सुरक्षा एक मुद्दा है लेकिन माँ -बाप इसमें मदद गार बनके कुछ दिन के लिए आगे आ सकतें हैं .नेक काम में देरी कैसी ?
सन्दर्भ -सामिग्री :-
http://thechart.blogs.cnn.com/2011/07/04/whos-walking-to-school/?hpt=he_क२
हु इज वाकिंग तू स्कूल .?
किन्तु जाने किस डगर पर ,
जवाब देंहटाएंदिल गया ,
जल गए दीपक उजाला मिल गया ,किन्तु जाने किस डगर पर दिल गया ।
विरह का प्रगाढ़ होता भाव ।
सांझ के ढलने के साथ।
विरह ही तो श्रृंगार पक्ष का श्रृंगार है .
डॉ वर्षाजी ऊपर वाली टिपण्णी मेरा अगली (आगामी )पोस्ट का ड्राफ्ट था जो कल लगानी थी .गलती से प्रकाशित हो गया .माफ़ी चाहता हूँ .मेट देंवें इसे आप .
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna..
जवाब देंहटाएंGlad to know that u r so concerned about water conservation also..
जवाब देंहटाएंउर्मि जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
दिगम्बर नासवा जी,
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह मेरे गीत को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
कैलाश जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर अपने विचार प्रकट करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
राकेश कुमार जी,
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभारी हूं आपकी......
विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
उर्मि जी,
जवाब देंहटाएंआमंत्रण के लिए हार्दिक धन्यवाद.
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार...
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद....
नीलिमा गर्ग जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपका सदा स्वागत है।
Dekhiye us taraf Ujaalaa hai ,
जवाब देंहटाएंjis jagaah roshni nahin jaati .
ujaale me raho ,ojaalaa failaao ,
shubhkaamnaa hai .
Transliteration is non -operative since morning .
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंफिर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
आप लोगों की पोस्ट इतनी सजी धजी होती हैं कि ब्लॉग पर से जाने का मन ही नहीं करता।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
बेहद खूबसूरत गीत.
जवाब देंहटाएंहाथ की मेंहंदी
अभी छूटी नहीं
आस की डोरी
अभी टूटी नहीं
सुर्ख चूड़ियों से कह रही कलाई.......
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
अरुण कुमार निगम जी,
जवाब देंहटाएंआगकी काव्यात्मक टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
"तुम्हारी याद आई"बहुत सुन्दर रचना है।भाव से भरी आपकी रचना के लिए मेरी ओर से शुभकामना.।
जवाब देंहटाएंVarsha ji, maine pahle bhi aapke blogs padhe hain.. sach mein bahut anand aata hai aapke blogs padhke... bas kabhi aapko aapki lekhni ke liye congrats nahi kiya... bahut-bahut badhai aur vishesh aabhar humare blog par aakar mera haunsala badhane ke liye..
जवाब देंहटाएंanilavtaar.blogspot.com
शब्द चित्रित होते हुये और चित्र शाब्दिक सा लगता हुआ..
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक...
राज शिवम जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद....
अनिल अवतार जी,
जवाब देंहटाएंआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
अमित श्रीवास्तव जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपका सदा स्वागत है।
ye leejiye, meri badhai bhi....sundar-pyare geet k liye
जवाब देंहटाएंजुदाई का दर्द शब्दों में साकार कर दिया, चित्र भी खूबसूरत ।
जवाब देंहटाएंtanhayi me sab kuchh darata hai. sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंभोर होते छा गई कैसी उदासी ,
जवाब देंहटाएंक्या किसी की याद आई ,ओ विरह व्याकुल प्रवासी .(प्रवासी के गीत -नीरज ).
नै ग़ज़ल ,गीत ,कविता आवाहन करती है कवयित्री का आओ मुझे आशीषो .
गिरीश पंकज जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आशा जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अनामिका जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
बहुत सुन्दर हमारे ब्लाँग मे भी आए
जवाब देंहटाएंदीपक कुमार जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ....
वर्षा जी बहुत ही प्यारा गीत है बधाई |
जवाब देंहटाएंभावों और शब्दों का सही ताल मेल...
जवाब देंहटाएंजयकृष्ण राय तुषार जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपका सदा स्वागत है।
माहेश्वरी जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
virah bhav ko lakshay kar likhi gayi aap ki kavita sarahniy hai .badhai sundar lekhan hetu .
जवाब देंहटाएंशिखा कौशिक जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को पसन्द करने के लिए हार्दिक धन्यवाद..
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभारी हूं.
nari mn ke sukoml slaune v mnohari antrbhav bdi niponta se piroye hai" bhut see barikyan foolon me hain aur bhut khushboo luta kr khush hain ve "
जवाब देंहटाएंbhuit 2 bdhaiyan swikar kren
mere blog pr aap ne tippni kee haardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kr len
aap ke sahity pr shodh ho skta hai ydi aap chahe to smprk kr len
09868842688
डॉ वर्षा सिंह जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
आपके ब्लॉग को http://cityjalalabad.blogspot.com/p/blog-page_7265.html के हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज पर लिंक किया जा रहा है|
prem me paki sunder kavita
जवाब देंहटाएंrachana
वेदव्यथित जी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
वनीत नागपाल जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को http://cityjalalabad.blogspot.com/p/blog-page_7265.html के हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज पर लिंक के लिये हार्दिक धन्यवाद...
रचना जी,
जवाब देंहटाएंयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरा गीत पसन्द आया। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
एकाकीपन के मनोभावों का नाजुक सा चित्र खींचा है.छोटी पंक्तियों में तो आपको महारथ हासिल है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता। एकाकीपन की व्यथा केवल आशा का दीप जला लेने पर और तीव्र हो जाती है। बहुत अच्छा। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंसपना निगम जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
आचार्य परशुराम राय जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
डॉ वर्षा सिंह जी, नमस्कार |
जवाब देंहटाएंआपकी कविता सार्थक संदेश दे जाती है।
आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! बहुत ही प्यारा गीत है बधाई
मदन शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
bhut achi abhivyakti.
जवाब देंहटाएंनिशा महाराणा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
विरह का मार्मिक चित्रण।
जवाब देंहटाएं