✻अनुपम अग्रवाल जी ✻डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति जी ✻केवल राम जी ✻कैलाश शर्मा जी ✻सुरेन्द्र सिंह " झंझट "जी ✻क्षमा जी आप सभी पाठकों और शुभचिंतकों को मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद !
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/ चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत ही सुन्दर सन्देश के साथ एक भावपूर्ण रचना ! वंदना की वर्षा में अर्चना की भाषा है कर रही हवाए भी बंदगी की बातें | बहुत खूबसूरत अलफ़ाज़ हैं ! बधाई एवं शुभकामनायें !
@ कुंवर कुसुमेश जी @ मीनाक्षी पंत जी @ अमृता तन्मय जी @ निवेदिता जी @ मृदुला प्रधान जी @ वन्दना जी @ यशवन्त माथुर जी @ संगीता स्वरुप जी @ अनुपमा जी @ दिगम्बर नासवा जी @ साधना वैद्य जी
मेरे ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत है! आप सभी को शुभकामनाओं और प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
सुश्री वर्षा जी! नमस्कार! पत्र-प्रत्रिकाओं और मंचों के माध्यम से आपको पढ़ा-सुना था। आज आपकी रचनाओं को ब्लाग पर पढ़कर सुखद अनुभूति हुई। मनुष्य ज्यों- ज्यों प्रकृति से दूर होता जा रहा है, अपनी जड़ों से कटता जा रहा है। पुराने कवि प्रकृति के अधिक निकट रहे थे। इसलिए ही उनके काव्य में ऋतु -वर्णन प्रमुखता से आता रहा है। आपने बसंत पर रचना करके उसे और जीवन्त बना दिया। षड-ऋतुओं में एक "वर्षा" भी है। वर्षा और बसंत का यह संयोग मनोहरी है। सराहनीय लेखन के लिए बधाई। कृपया पर्यावरण और बसंत पर ये दोहे पढ़िए...... ============================== गाँव-गाँव घर-घ्रर मिलें, दो ही प्रमुख हकीम। आँगन मिस तुलसी मिलें, बाहर मिस्टर नीम॥ -------+------+---------+--------+--------+----- शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत। गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥ सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
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सुबह अलबेली है
जवाब देंहटाएंशाम भी अकेली है
मौसमों से कभी कीजिये
दिल भर बातें ।
क्या बात है ..बहुत सुन्दर लिखा है..
जवाब देंहटाएंवंदना की वर्षा में
अर्चना की भाषा है
कर रही हवाए भी
बंदगी की बातें |
उम्दा .. वर्षा जी .. सादर अभिनन्दन
विविध भावों से ओत प्रोत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रवाहमयी प्रस्तुति..गुनगुनाने को मजबूर कार देती है
जवाब देंहटाएं'vandna ki varsha me
जवाब देंहटाएंarchna ki bhasha me
kar rahi hawayen bhi
bandgi ki baaten '
bahut sundar rachna.
Nihayat sundar rachana!
जवाब देंहटाएं✻अनुपम अग्रवाल जी
जवाब देंहटाएं✻डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति जी
✻केवल राम जी
✻कैलाश शर्मा जी
✻सुरेन्द्र सिंह " झंझट "जी
✻क्षमा जी
आप सभी पाठकों और शुभचिंतकों को मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद !
वंदना की वर्षा में
जवाब देंहटाएंअर्चना की भाषा है
कर रही हवाए भी
बंदगी की बातें |
bahut sundar likha hai .uttam .
ज्योति सिंह जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा.
जवाब देंहटाएंमतला बहुत ही बढ़िया.
मक्ता भी आला.
आप की कलम को शुभ कामनाएं
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
Sagebob ji,Thanks for your comments.सम्वाद क़ायम रखें।
जवाब देंहटाएंसत्यम शिवम जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद... चर्चा मंच में शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए आभारी हूं.
वासंती महक लिए हुए सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत बात चंद शब्दों मै ही कह डाली आपने दोस्त !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखती हैं ....आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंबन्दगी की ही है सारी बातें .....
जवाब देंहटाएंबधाई ।
bahut achcha likhi hain.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब भाव संयोजन्।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया और गुनगुनाने लायक कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूबसूरत सन्देश देती रचना ...
जवाब देंहटाएंउम्दा बंदगी की बातें हैं -
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति ... सच है हर किसी से प्रेम से मिलना चाहिए ... यही जीवन है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सन्देश के साथ एक भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंवंदना की वर्षा में
अर्चना की भाषा है
कर रही हवाए भी
बंदगी की बातें |
बहुत खूबसूरत अलफ़ाज़ हैं ! बधाई एवं शुभकामनायें !
@ कुंवर कुसुमेश जी
जवाब देंहटाएं@ मीनाक्षी पंत जी
@ अमृता तन्मय जी
@ निवेदिता जी
@ मृदुला प्रधान जी
@ वन्दना जी
@ यशवन्त माथुर जी
@ संगीता स्वरुप जी
@ अनुपमा जी
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@ साधना वैद्य जी
मेरे ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत है!
आप सभी को शुभकामनाओं और प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
क्या बात है ..बहुत सुन्दर बहुत ही बढ़िया और गुनगुनाने लायक कविता लिखा है..
जवाब देंहटाएंवंदना की वर्षा में
अर्चना की भाषा है
कर रही हवाए भी
बंदगी की बातें |
उम्दा .. वर्षा जी .. सादर अभिनन्दन
मदन शर्मा जी ,मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ...
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
बहुत ही सुंदर भाव और रचना ....
जवाब देंहटाएंअनुशरण भी किया
सुश्री वर्षा जी!
जवाब देंहटाएंनमस्कार!
पत्र-प्रत्रिकाओं और मंचों के माध्यम से आपको पढ़ा-सुना था। आज आपकी रचनाओं को ब्लाग पर पढ़कर सुखद अनुभूति हुई। मनुष्य ज्यों- ज्यों प्रकृति से दूर होता जा रहा है, अपनी जड़ों से कटता जा रहा है। पुराने कवि प्रकृति के अधिक निकट रहे थे। इसलिए ही उनके काव्य में ऋतु -वर्णन प्रमुखता से आता रहा है। आपने बसंत पर रचना करके उसे और जीवन्त बना दिया। षड-ऋतुओं में एक "वर्षा" भी है। वर्षा और बसंत का यह संयोग मनोहरी है। सराहनीय लेखन के लिए बधाई। कृपया पर्यावरण और बसंत पर ये दोहे पढ़िए......
==============================
गाँव-गाँव घर-घ्रर मिलें, दो ही प्रमुख हकीम।
आँगन मिस तुलसी मिलें, बाहर मिस्टर नीम॥
-------+------+---------+--------+--------+-----
शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
aap bada sundar likhti hai, aapke gazal sangrah dhoondh k zaroor padhunga.
जवाब देंहटाएंबबन पाण्डेय जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया !
डॉ० डंडा लखनवी जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद !
वाह..क्या खूब लिखा है आपने भी।
विवेक जैन जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
अब सभी ब्लागों का लेखा जोखा BLOG WORLD.COM पर आरम्भ हो
जवाब देंहटाएंचुका है । यदि आपका ब्लाग अभी तक नही जुङा । तो कृपया ब्लाग एड्रेस
या URL और ब्लाग का नाम कमेट में पोस्ट करें ।
http://blogworld-rajeev.blogspot.com
SEARCHOFTRUTH-RAJEEV.blogspot.com
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंदिव्या श्रीवास्तव जी,हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
जवाब देंहटाएंSundar GAZZAL. Achha Laga. Dhanyawad. Subhakamanayen..
जवाब देंहटाएंबाबूलाल गढ़वाल "मंथन" जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
अमरजीत जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है! हार्दिक धन्यवाद!
बहुत सुन्दर हैं आप की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत- बहुत शुभकामना
दीपांकर कुमार पाण्डेय जी, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद. आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
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