माटी को है ढेला, जे जिनगी...
फागुन बीतो रंगरंगीलो
लाल हरीरो, नीलो- पीलो
फागुन बीतो रंगरंगीलो
लाल हरीरो, नीलो- पीलो
आ गऔ चैत नवेला, जे जिनगी चार...
मैया को दरबार सजो है
ढोल, नगड़िया, मिरदंग बजो है
आ गई पूजन बेला , जे जिनगी चार...
अपनी- अपनी देत सबई हैं
मैया को दरबार सजो है
ढोल, नगड़िया, मिरदंग बजो है
आ गई पूजन बेला , जे जिनगी चार...
अपनी- अपनी देत सबई हैं
औरन की सुध लेतई नईं हैं
माया को सब खेला, जे जिनगी चार…
राम को नाम जपो दोई बिरियां
हो सके जितनो, बांट लो खुशियां
“वर्षा” छोड़ो झमेला , जे जिनगी ....
कृपया इस लिंक को देखें एवं शेयर करें....
https://youtu.be/K67r2Ak5Xsg
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