बुधवार, दिसंबर 14, 2016
शनिवार, अक्तूबर 29, 2016
बुधवार, अक्तूबर 05, 2016
मंगलवार, सितंबर 27, 2016
रविवार, सितंबर 18, 2016
रविवार, सितंबर 04, 2016
बुधवार, अगस्त 10, 2016
‘पत्रिका’ समाचार पत्र टाॅक शो ... जेंडर इक्वीलिटी .... डाॅ. वर्षा सिंह
Dr Varsha Singh |
‘टाॅक शो’ के लिए धन्यवाद ‘‘पत्रिका’!
(10 जुलाई 2016) ...
http://epaper.patrika.com/c/12387420
Patrika - Talk Show - 10.08.2016 - Varsha Singh |
Patrika - Talk Show - 10.08.2016 - Varsha Singh |
Patrika - Talk Show - 10.08.2016 - Varsha Singh |
सोमवार, अगस्त 08, 2016
गुरुवार, अगस्त 04, 2016
बुधवार, जुलाई 20, 2016
शनिवार, जुलाई 16, 2016
रविवार, जुलाई 10, 2016
रविवार, जून 05, 2016
पर्यावरण : बुंदेली छंद
पर्यावरण :- एक बुंदेली छंद
- डॉ वर्षा सिंह
काट-काट जंगल खों,
बस्तियां बसाय दईं
मूंड़ धरे घुटनों पे
सबई अब रोए हैं।
‘पर्यावरण’ की मनो
ऐसी- तैसी कर डारी
बेई फल मिलहें जाके
बीजा हमने बोए हैं।
गरमी के मारे सबई
भुट्टा घाईं भुन रए
‘वर्षा’ खों टेर- टेर
बदरा खों रोय हैं।
कछू तो सरम करो
ऐसो- कैसो स्वारथ है
दूध की मटकिया में
मट्ठा जा बिलोए हैं।
-–----
- डॉ वर्षा सिंह
काट-काट जंगल खों,
बस्तियां बसाय दईं
मूंड़ धरे घुटनों पे
सबई अब रोए हैं।
‘पर्यावरण’ की मनो
ऐसी- तैसी कर डारी
बेई फल मिलहें जाके
बीजा हमने बोए हैं।
गरमी के मारे सबई
भुट्टा घाईं भुन रए
‘वर्षा’ खों टेर- टेर
बदरा खों रोय हैं।
कछू तो सरम करो
ऐसो- कैसो स्वारथ है
दूध की मटकिया में
मट्ठा जा बिलोए हैं।
-–----
सोमवार, अप्रैल 18, 2016
गुरुवार, अप्रैल 14, 2016
बुधवार, मार्च 09, 2016
International Women's Day Celebration
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘‘पत्रिका’’ समाचारपत्र द्वारा आयोजित परिचर्चा में मैंने भी अपने विचार रखे एवं अनुभव साझा किए....
धन्यवाद ‘‘पत्रिका’’!!!
On the International Women's Day I also spoke and shared my experiences at the symposium organized by the "Patrika" newspaper ....
Thank you "Patrika" !!!
मंगलवार, मार्च 08, 2016
International Women's Day 08 March 2016
प्रिय मित्रों,
नव भारत, मध्य प्रदेश संस्करण (08.03.2016) ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरे विचार प्रकाशित किए हैं ...Please Read & Share ...
नव भारत धन्यवाद ... !!!
Dear Friends,
Nav Bharat, Madhya Pradesh Edition, 08.03.2016, today publish my view on International Women's Day ... Please Read & Share ...
Thank You Nav Bharat ...!!!
नव भारत, मध्य प्रदेश संस्करण (08.03.2016) ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरे विचार प्रकाशित किए हैं ...Please Read & Share ...
नव भारत धन्यवाद ... !!!
Dear Friends,
Nav Bharat, Madhya Pradesh Edition, 08.03.2016, today publish my view on International Women's Day ... Please Read & Share ...
Thank You Nav Bharat ...!!!
सोमवार, मार्च 07, 2016
रविवार, फ़रवरी 07, 2016
वसंत पर बुंदेली बोली में मेरा लेख "पत्रिका" समाचार पत्र में ....
लेख
ओ रे, पाऊने बसंत...
तुमाये आबे की...!
- डॉ. वर्षा सिंह
ओ रे पाऊने बसंत...!!! तुमाये आबे की खबर
हमें लग गई। इत्ते दिना कहां रये ? ... तुमें हमाई तनकउ खबर ने
आई ? बाकी हमने तो तुमें खूबई याद करो। काय से के पूस को जड़कारो...ओ
जड़कारो ऐसो के -
कन्हैया बिना, कौन हरे मोरी पीरा। पूस मास में ठंड जो ब्यापे,
माघ में हलत सरीरा।।
जंगल, गांव, सहर सबई को हाल बुझो-बुझो सो हतो। ने कोउ रंग, ने कोउ ढंग।
जबईं देखो, धुंधयारो सो छाओ रहत तो। कोउ को कछु काम में जी न लगत तो। तुम आए तो
तनक ढाढस बंधी। भुनसारे से कोयल के बोल, कानों में रए मिसरी सी घोल....मौसम को
कछु-कछु होन लगो, सोत-सोत सो मनो सूरज जगो। अमुआ बौरा गए, टेसू औ सेमल फूलन लगे।
ढुलकिया की थापें औ रमतूला की टेरें, सगोना को मनो कामदेव घेरें। जेई लाने कहनात आए – ‘आम के ब्याओ में सगौना फूलो’।
इते चलन लगी बयार फगुनाई की, उते ठुमरी, चकरी, गिरदी होन लगी राई की। रागें
औ फागें, बधाओ औ ढिमरियाई, जे सब बुंदेलन ने नोनी चलाई, काए से के बसंत ! तुमाई
रुत आई। औ जोन जे तुमाई रुत आई तो जो लगो के पद्माकर ने कही रही सांची -
बीथिन में ब्रज में नवेलिन में बेलिन में।
बनन में, बागन में बगरो बसंत है।।
अब जो सबई ओर दिखत हो तुमई तुम, सो आ रईं
याद ईसुरी की जे लकीरें -
अब रुत आई बसंत बहारन,
पान फूल फल डारन।
कपटी कुटिल कंदरन बहिं,
गई वैराग बिगारन।।
कोऊ कहत है-‘‘आ गओ बांको बसंत’, तो कोऊ कहत है के ‘आ गओ बैरी बसंत’ ....। ओ पाऊने बसंत ! तुम
कोऊ के लाने कछु हो, तो कोऊ के लाने कछु। जोन के मन हरे-भरे, उनके लाने ‘बांके बसंत’। जोन के मन पीर भरे, उनके
लाने ‘बैरी बसंत’।
तुम जो आए तो फूलन की बहार लाए। सरस्वती मैया खों पूज रए लुगवा-लुगाईयां, जो
करी जाए बात आज के नए मोड़ा-मोड़ी की, सो ‘व्हाट्सएप्प’
पे चलन लगी तुमाए आबे की बधाइयां। भली करी आए जो तुम पाऊने बसंत....हो गओ सबकी
दुख-पीरा को अंत।
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