भारतरत्न जननायक स्व.अटल बिहारी वाजपेयी महान राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठतम कवि भी थे , साथ ही हिन्दी भाषा के लिये समर्पित थे, संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार उन्हीं के द्वारा हिन्दी में भाषण दिया गया था.....
उन्हें उन्हीं की कविता पंक्तियों के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?
ऊं शांति, शांति, ऊं शांति