Dr. Varsha Singh |
वो शख़्स मुझे छोड़ मेरे हाल पर गया ।
उसको न कभी मुझसे कोई वास्ता रहा।
दरिया-ए-इश्क़ में जो डूबा न बच सका,
मझधार में मुझे भी सहारा नहीं मिला।
कल शाम मेरा नाम पुकारा किसी ने था,
देखा जो मुड़ के शख़्स वहां पर कोई न था।
यूं तो निगाह जो भी उठी, थी सवालिया,
ये क्या हुआ कि रिश्ता बन कर बिगड़ गया।
"वर्षा" जवाब दूं क्या अब इस जहान को
मैं भूल गई मेरा अपना पता है क्या !
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