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रविवार, मार्च 31, 2019

ग़ज़ल .... दरिया-ए-इश्क़ में - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

वो शख़्स मुझे छोड़ मेरे हाल पर गया ।
उसको न कभी मुझसे कोई वास्ता रहा।

दरिया-ए-इश्क़ में जो डूबा न बच सका,
मझधार में मुझे भी सहारा नहीं मिला।

कल शाम मेरा नाम पुकारा किसी ने था,
देखा जो मुड़ के शख़्स वहां पर कोई न था।

यूं तो निगाह जो भी उठी, थी सवालिया,
ये क्या हुआ कि रिश्ता बन कर बिगड़ गया।

"वर्षा" जवाब दूं क्या अब इस जहान को
मैं भूल गई  मेरा अपना पता है क्या !
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बुधवार, मार्च 27, 2019

ग़ज़ल... कह दिया मौसम ने - डॉ. वर्षा सिंह

Ghazal by Dr. Varsha Singh

कह दिया मौसम ने सब कुछ, किन्तु वो समझा नहीं
क्या पता समझा भी हो तो, कुछ कभी कहता नहीं

ज़िंदगी में यूं भी पहले उलझनें कुछ कम न थीं
की जो सुलझाने की कोशिश, कुछ मगर सुलझा नहीं

भीड़ में, एकांत में, गुलज़ार में, वीरान में
कौन जाने क्या हुआ है, मन कहीं लगता नहीं

इस क़दर बदले हुए हैं, बंधनों के मायने
है खुला पिंजरा, परिंदा अब मगर उड़ता नहीं

लाख कोशिश कीजिये, "वर्षा" यकीनन जानिये
लग कभी सकता किसी की, सोच पर पहरा नहीं

- डॉ. वर्षा सिंह





गुरुवार, मार्च 21, 2019

❤ होली की हार्दिक शुभकामनाएं ❤


बिखरते हैं फ़िजां में जब, सुहाने रंग होली के।
न करते फ़र्क इन्सां में, दिवाने रंग होली के।
  -  डॉ. वर्षा सिंह 

बुधवार, मार्च 20, 2019

🔥होलिका दहन पर हार्दिक शुभकामनाएं 🔥🌋

🔥होलिका दहन पर🔥
🌋 🔥हार्दिक शुभकामनाएं 🔥🌋

🔥होलिका दहन पर🔥
🌋 🔥हार्दिक शुभकामनाएं 🔥🌋
हृदय के क्लेश मिट जायें, जला दी होलिका हमने।
चलो अब रंग बिखरायें, जला दी होलिका हमने।
आपसी द्वेष की बातों से रहना दूर है हमको,
परस्पर बैर बिसरायें, जला दी होलिका हमने।
            - डॉ. वर्षा सिंह

मंगलवार, मार्च 12, 2019

ग़ज़ल .... जीवन - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय मित्रों,
       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 12 मार्च 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

yuvapravartak.com/?p=11692

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु इस Link पर जायें....

जीवन  इतना  भी  नहीं  दहे।
जितना हम जलता समझ रहे।

उच्छ्वास भरो उत्साहित हो,
क्यों अंतरतम हर घुटन गहे।

सूरज न रुका है इसीलिये,
जग व्यर्थ न ज़्यादा तिमिर सहे।

दरिया सदैव गतिमान बना,
जलधार निरन्तर यहां बहे।

जीवन इतना भी कठिन नहीं,
"वर्षा" हर पल मन यही कहे
            - डॉ. वर्षा सिंह
yuvapravartak.com/?p=11692


शुक्रवार, मार्च 08, 2019

Happy Women's Day 2019

Dr. Varsha Singh

प्रिय मित्रों,
       मेरी ग़ज़ल को web magazine "नवीन क़दम" के अंक दिनांक 07 मार्च 2019 में स्थान मिला है।
"नवीन क़दम" के प्रति हार्दिक आभार 🙏
ग़ज़ल
      - डॉ. वर्षा सिंह
मां, बेटी, बहन, सहेली हूं, बेशक़ मैं तो इक औरत हूं।
पत्नी, भाभी ढेरों रिश्ते, मैं हर इक घर की इज़्ज़त हूं।

अपनी करुणा से मैंने ही, इस दुनिया को सींचा हरदम,
बंट कर भी जो बढ़ती जाती, ऐसी ममता की दौलत हूं।

राधा, मीरा, लैला बन कर, मैं चली प्रेम की राहों पर,
बन कर दुर्गा काली मैं ही,  दुष्टों के लिये क़यामत हूं।

मैं सहनशीलता, धीरज का, पर्याय सदा बनती आई,
संकट का समय रहा जब भी, मैं बनी स्वयं की ताकत हूं।

"वर्षा", सलमा, सिमरन, मरियम, हो नाम भले कोई मेरा,
कह लो औरत, महिला, वूमन, आधी दुनिया की सूरत हूं।
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कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....
http://navinkadam.com/?p=3697

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सोमवार, मार्च 04, 2019

शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं


शिव शंभू, शिव शंकर
तेरी है जयकार सदा
इस पृथ्वी के जीवजगत पर
तेरा है उपकार सदा
          - डॉ. वर्षा सिंह

रविवार, मार्च 03, 2019

ग़ज़ल .... दरमियां मेरे तुम्हारे.... डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय मित्रों,
      आज दिनांक 03 मार्च 2019 को "नवीन क़दम" वेबसाइट पर मेरी ग़ज़ल प्रकाशित हुई है। Please read & share....
   हार्दिक आभार "नवीन क़दम" 🙏

http://navinkadam.com/?p=3562

http://navinkadam.com/?p=3562


#Navinkadam #ग़ज़लवर्षा

शनिवार, मार्च 02, 2019

ग़ज़ल .... कर रहमत की बारिश मौला - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

कर रहमत की बारिश मौला।
हो पूरी हर ख़्वाहिश मौला।

क़ायम शांति रहे दुनिया में,
सबको दे तू दानिश मौला।

कामयाब हो मंज़िल पाये,
मेरी हर इक कोशिश मौला।

हर घर में चूल्हा जल जाये,
इतनी दे तू आतिश मौला।

नाकामी का चेहरा देखे,
दुश्मन की हर साज़िश मौला।

मिथ्या छुपी मुखौटे भीतर,
दुनिया एक नुमाइश मौला।

"वर्षा" पर भी रहम अता कर,
तुझसे यही गुज़ारिश मौला।


ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह
ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह

शुक्रवार, मार्च 01, 2019

ग़ज़ल... जो मुल्क की सरहद पर रख्खे बुरी नज़र - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

प्रिय मित्रों,
       मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 01 मार्च 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

कृपया पत्रिका में मेरी ग़ज़ल पढ़ने हेतु निम्नलिखित Link पर जायें....

http://yuvapravartak.com/?p=11036

अब देख तुझसे कोई शिकायत न करेंगे।
पहले सरीखी लेकिन मुहब्बत न करेंगे ।

माना कि बुतपरस्ती पर है यकीं हमें,
लेकिन तेरे बुत की इबादत न करेंगे।

देना न वास्ता अब बुझते चिराग़ का ,
आंचल की ओट दे के हिफ़ाज़त न करेंगे।

जो मुल्क की सरहद पर रख्खे बुरी नज़र,
हम पेश उसको अपनी शराफ़त न करेंगे।

हो सामने जो तू तो नज़रें न मिलायें ,
ऐसी भी मगर "वर्षा" अदावत न करेंगे।

http://yuvapravartak.com/?p=11036