Varsha Singh
कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
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सोमवार, अगस्त 08, 2016
My Poetry
शुभ संध्या
सोचो शाम अगर न होती
दिन के बाद आ जाती रात
कैसे मिल कर हम कर पाते
जाते हुए समय की बात
~ डॉ वर्षा सिंह
1 टिप्पणी:
प्रतिभा सक्सेना
10 अगस्त, 2016 08:16
संधिस्थल कहीं न कहीं तो होता ही -लघु या दीर्घ !
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संधिस्थल कहीं न कहीं तो होता ही -लघु या दीर्घ !
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