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सोमवार, अगस्त 08, 2016

My Poetry

शुभ संध्या

सोचो शाम अगर न होती
दिन के बाद आ जाती रात
कैसे मिल कर हम कर पाते
जाते हुए समय की  बात
~ डॉ वर्षा सिंह

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