घर
-डॉ. वर्षा सिंह
छत न खिड़की से, नहीं दीवार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
घर जहां पर नेह के दीपक जलें
घर वही सुख के जहां मोती मिलें
घर हमेशा है बड़ा संसार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
है थकन मिटती जहां मन-देह की
बारिशें होती जहां स्नेह की
घर नहीं कम है किसी उपहार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
घर की पुख़्ता नींव रिश्तों से बने
मिल के रहने से ये होते हैं घने
हैं सफल जो भी जुड़े घर-बार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
बात कोई भी न हो विद्वेष की
हो अगर तो प्रेम के संदेश की
टूटते घर आपसी तकरार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
जूझते हों जब अकेलेपन से हम
घेरते हैं जब कई अनजान ग़म
जोड़ता घर ही हमें परिवार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (06-12-2020) को "उलूक बेवकूफ नहीं है" (चर्चा अंक- 3907) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी,
हटाएंआपने मेरे गीत को चर्चा मंच हेतु चयनित किया इसके लिए मैं आपके प्रति हृदय से आभारी हूं।
🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद शिवम् कुमार पाण्डेय जी 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंघर हो तो ऐसा ही हो !
बहुत -बहुत धन्यवाद गोपेश मोहन जैसवाल जी🙏
हटाएंबेहतरीन संदेशपरक रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद यशवन्त माथुर जी 🙏
हटाएंवाह!सराहनीय अभिव्यक्ति आदरणीय दी।
जवाब देंहटाएंसादर
हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनीता सैनी जी 🙏
हटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय सुशील कुमार जोशी जी 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति। जूझते हों जब अकेलेपन से हम
जवाब देंहटाएंघेरते हैं जब कई अनजान ग़म
जोड़ता घर ही हमें परिवार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय शांतनु सान्याल जी 🙏
हटाएंजूझते हों जब अकेलेपन से हम
जवाब देंहटाएंघेरते हैं जब कई अनजान ग़म
जोड़ता घर ही हमें परिवार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से..स्नेह और प्रेम का संदेश देती रचना..।सुंदर अभिव्यक्ति..।
हार्दिक धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी 🙏
हटाएंदिल को छू गया आपका यह गीत वर्षा जी । अनुपम ! अप्रतिम ! अति प्रशंसनीय !
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी 🙏
हटाएंहरिः ॐ तत्सत्
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यति
सदर नमन
आचार्य प्रताप
प्रबंध निदेशक
अक्षर वाणी संस्कृत सामाचार पत्रम
सुस्वागतम्
हटाएंएवं
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय आचार्य प्रताप जी 🙏
जूझते हों जब अकेलेपन से हम
जवाब देंहटाएंघेरते हैं जब कई अनजान ग़म
जोड़ता घर ही हमें परिवार से
घर हमेशा घर बना है प्यार से
बहुत सटीक।
हार्दिक धन्यवाद प्रिय ज्योति देहलीवाल जी 🙏
हटाएंवाह बहुत ही शानदार
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आपकी सदाशयता के लिए 🙏
हटाएंसही अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय सतीश सक्सेना जी 🙏
हटाएंबहुत ही प्यारा घर
जवाब देंहटाएंक्या सुंदर रचना की हैं अपने आदरणीय