मां
नेह भरा वातायन देती
मां सारे स्वर-व्यंजन देती
जीने का रस्ता दिखलाती
संस्कार का कंचन देती
मां महकाती जीवन पथ को
आशीषों का गुलशन देती
मां की ममता अमृत जैसी
हर पल नूतन जीवन देती
कैसा भी हो दौर समय का
मां हरदम अपनापन देती
'वर्षा' मां को नमन कर रही
मां ममता का चन्दन देती
- डॉ वर्षा सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें