रविवार, मई 07, 2017

नयन में उमड़ा जलद है

प्रिय मित्रों,

❤. मेरी ग़ज़ल के कुछ शेर भी देखें...।❤

नयन में उमड़ा जलद है
नम व्यथा का भी वृहद है

वक्त की हर इक सभा में
दर्द ही बस नामज़द है

नींद को कैसे मनाएं
स्वप्न की खोई सनद है

त्रासदी 'वर्षा' कहें क्या
शत्रु अब तो मेघ ख़ुद है

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-05-2017) को
    संघर्ष सपनों का ... या जिंदगी का; चर्चामंच 2629
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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