कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
फूल ख़िले तो ख़ुशबू आई साथ पुरानी यादें लाई मिल जुल कर नापा करते थे इश्क़ में है कितनी गहराई - डॉ वर्षा सिंह
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