Dr. Varsha Singh |
गीत
फागुन की सौगात
- डॉ. वर्षा सिंह
जब से आया है मधुमास
हुई जो खुशियों की बरसात।
यही है फागुन की सौगात।।
लाज भरा उषा-सा आंचल, शबनम से गहने
सूरज पर न्योछावर सुधियां, चंदा पर सपने
नेहा से सराबोर हैं दिन
प्रणय से भीगी भीगी रात।
यही है फागुन की सौगात।।
हर पल माणिक, हर पल मुक्ता, हर पल है सोना
तृप्ति-प्यास का अद्भुत संगम, पाकर क्या खोना !
निखरता रंगों का उल्लास
निकलती खुशियों की बारात।
यही है फागुन की सौगात।।
बांहों के घेरे ने लिख दी, बंधन की कविता
होठों के तटबंध तोड़ती, गीतों की सरिता
बहती पोर-पोर रसधार
हुई जो रंग-रंगीली बात।
यही है फागुन की सौगात।।
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बांहों के घेरे ने लिख दी, बंधन की कविता
जवाब देंहटाएंहोठों के तटबंध तोड़ती, गीतों की सरिता .
बस जी अब तो फागुन आ ही गया .... भीग गए इस रसधार में . सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
हार्दिक आभार आपका इस आत्मीयता भरी टिप्पणी के लिए 🙏
हटाएंहर छंद बहुत हाई लाजवाब, होली के रंग भरी सौग़ात।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद दिल से जिज्ञासा जी 🙏
हटाएंहोली की रंगों से सराबोर कर गई आपकी रचना, सादर नमन आपको वर्षा जी
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद प्रिय कामिनी जी 🙏
हटाएंसुंदर मोहक गीत, फागुन का बहुरंगी चित्र उपस्थित करता।
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना वर्षाजी।
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया 🙏
हटाएंआने वाले पर्व की बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद 🙏
हटाएंआपको भी अग्रिम शुभकामनाएं 🙏
हर पल माणिक, हर पल मुक्ता, हर पल है सोना
जवाब देंहटाएंतृप्ति-प्यास का अद्भुत संगम, पाकर क्या खोना !
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति..मनमोहक सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई वर्षा जी 🙏🌹🙏
आपकी इस आत्मीय टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार प्रिय मीना जी 🙏
हटाएंबहुत प्यारा गीत
जवाब देंहटाएंपढ़कर आनन्द आ गया।
आपको हार्दिक बधाइयाँ