करवा चौथ दिनांक 17.10.2019 पर विशेष
सुहागिन बहनों के प्रति शुभकामना
- डॉ. वर्षा सिंह
दे रहा मन हो विह्वल, शुभकामना।
नित खिले सुख का कमल, शुभकामना।
दिन वसंती हों, निशा हेमंतिनी
सांझ बरसे नेह-जल, शुभकामना।
आज के सपने सभी साकार हों
और बिखरे हास कल, शुभकामना।
हर्ष की, उल्लास की गाथा गढ़े
आयु का हर एक पल, शुभकामना।
इंद्रधनुषी अल्पनाओं से सजे
कल्पनाओं का महल, शुभकामना।
तुम जहां हो रोशनी भी हो वहां
दे रही आंखें सजल, शुभकामना।
भावनाओं के शिखर को चूम कर
कह रही है यह ग़ज़ल, शुभकामना।
सिर्फ़ छूने से बने अमृत कलश
हर निराशा का गरल, शुभकामना।
मन की अभिलाषा सदा साकार हो
हर कदम पर हों सफल, शुभकामना।
ज्योत्सना बिखरे सदा सुख शांति की
है यही निर्मल- धवल, शुभकामना।
मांग में सौभाग्य की दें लालिमा
चंद्र की किरणें चपल, शुभकामना।
नित्य "वर्षा" हो सरस आल्हाद की
पल्लवित हो नित नवल, शुभकामना।
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करवा चौथ पर्व के अवसर पर सृजित मेरी इस ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 17 अक्टूबर 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=20272
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
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करवा चौथ की काव्यात्मक शुभकामनाएं - डॉ. वर्षा सिंह |
बहुत सुन्दर हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर जी,
हटाएंबहुत- बहुत धन्यवाद
बहुत बहुत सुंदर अलग सा अहसास ।
जवाब देंहटाएंसच कृत्रिम रोशनी ने लगता है चांद की रौनक चुरा ली हो ।
सुंदर प्रस्तुति
पुनः धन्यवाद 🙏
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