कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
तन में मस्ती, मन में उमंग, देकर सबको अपनापन और गुड़ जैसे मीठापन, होकर साथ हम उड़ाएं पतंग और भर दें आकाश में अपना रंग। हैप्पी मकर संक्रांति।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें