कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
हमें मांगना और छीनना, नहीं गंवारा है इस दुनिया से अपनी दुनिया हमें चुरानी है
जिसने भी अंगारे छूये, उसका हाथ जला इसकी, उसकी, सबकी "वर्षा", एक कहानी है - डॉ. वर्षा सिंह
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