नवसंवत्सर आ गया, लेकर नव उल्लास ।
हर्षित होंगे जन सभी, पूरा है विश्वास ।।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, विकसित होगा सोम ।
होगी हर्षित यह धरा, पुलकित होगा व्योम ।।
फलियां भरे बबूल हैं, हरियाले हैं बांस।
महुआ फूले हैं यहां, पुष्पित वहां बुरांस।।
मिटे शीत के चिन्ह सब, बढ़ा ताप दिन-रात।
सांझ होती है देर से, होता शीघ्र प्रभात।।
आई है नवरात्रि भी, अर्चन, पूजन, ध्यान।
दसों दिशाओं गूंजता, मां दुर्गा का गान।।
वन में छटा बिखेरते, जैसे फूल शिरीष
"वर्षा" के माथे रहे, माता की आशीष ।
शक संवत भी देश का, विक्रम जन-जन मीत ।
दोनों हैं इस देश के, रखिए इनसे प्रीत ।।
कोरोना की आपदा, मिट जाए जड़-मूल।
क्षमा करें प्रभु आप अब, मानव की हर भूल।।
अपने दुख को भूल कर, करें जगत कल्याण।
परमारथ में कीजिए, न्यौछावर ये प्राण।।
"वर्षा" की शुभकामना, करें आप स्वीकार ।
ख़ुशियों की बरसात हो, आनंदित संसार ।।
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2099...कभी पछुआ बहे तो कभी पुरवाई है... ) पर गुरुवार 15अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏
हटाएंकोरोना की आपदा, मिट जाए जड़-मूल।
जवाब देंहटाएंक्षमा करें प्रभु आप अब, मानव की हर भूल।।
ये प्रार्थना तो इश्वर सुन ही ले ... सभी दोहे बहुत अच्छे .
आपकी सराहना पा कर मेरा सृजन सार्थक हो गया आदरणीया 🙏
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 16-04-2021) को
"वन में छटा बिखेरते, जैसे फूल शिरीष" (चर्चा अंक- 4038) पर होगी। चर्चा का शीर्षक आप द्वारा सृजित दोहे की पंक्ति से लिया है । आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
प्रिय मीना जी,
हटाएंचर्चा मंच के लिए चयनित तथा सूचित करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
यह मेरे लिए अत्यंत गर्व एव सम्मान का विषय है कि आपने मेरे दोहे के पद से शीर्षक पंक्ति का चयन किया है। पुनः हार्दिक आभार 🙏
शुभकामनाओं सहित,
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
जवाब देंहटाएंकोरोना की आपदा, मिट जाए जड़-मूल।
क्षमा करें प्रभु आप अब, मानव की हर भूल।। आमीन...🙏
हार्दिक आभार उषा किरण जी🙏
हटाएंबेहतरीन दोहे...🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया प्रिय बहन डॉ. सुश्री शरद सिंह 🙏
हटाएंऐसा ही हो । आनंद दायी कविता ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका 🙏
हटाएंइन दोहों की प्रशंसा में क्या कहूं वर्षा जी? यही मन करता है कि इन्हें बार-बार पढ़ता रहूं।
जवाब देंहटाएंआपने यह कह कर कि ... "यही मन करता है कि इन्हें बार-बार पढ़ता रहूं।"... बहुत कुछ कह दिया है आदरणीय।
हटाएंहृदयतल की गहराइयों से आभार आपका 🙏
बेहतरीन दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया आदरणीय ओंकार जी ��
हटाएंआई है नवरात्रि भी, अर्चन, पूजन, ध्यान।
जवाब देंहटाएंदसों दिशाओं गूंजता, मां दुर्गा का गान।।
नवरात्रि के अवसर पर सुंदर सृजन, सभी दोहे गहन अर्थ लिए हैं
आपकी इस अनमोल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीया अनिता जी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद प्रिय ज्योति जी 🙏
हटाएंवाह वाह सुन्दर कामनाएं व्यक्त करते अप्रतिम दोहे
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय वर्षा दी जी ।
जवाब देंहटाएंसादर
कोरोना की आपदा, मिट जाए जड़-मूल।
जवाब देंहटाएंक्षमा करें प्रभु आप अब, मानव की हर भूल।।
परमात्मा हमारी प्रार्थना स्वीकार कर ले,बस यही कामना है ,बहुत सुंदर दोहे,
आपको भी नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें
शुभ्र परहिताय भावों से सुसज्जित सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंबधाई वर्षा जी ।
हमेशा की तरह सुंदर सृजन।
<a href="https://sharadclimatediary.blogspot.com/>Climate Diary Of Dr (Ms) Sharad Singh</a>
जवाब देंहटाएंClimate Diary Of Dr (Ms) Sharad Singh
जवाब देंहटाएंHaving read your article. I appreciate you are taking the time and the effort for putting this useful information together.
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