दस दोहे वसंत पर :
फिर वसंत है ट्रेंड में, हैशटैग में प्रेम
- डॉ. वर्षा सिंह
सबकी अपनी चाहतें, सबके अपने फ्रेम।
फिर वसंत है ट्रेंड में, हैशटैग में प्रेम।।
युवा नहीं पहचानते, सेमल और पलाश।
नेट-चैट पर है टिकी, उनकी सकल तलाश।।
अर्थहीन सम्वाद पर, होता डाटा खर्च।
यूनिक मैसेज के लिए, गूगल करते सर्च।।
कुहरे के संजाल में, धरती थी बेहाल।
शीतलहर भी पूछती, हंस कर पूरा हाल।।
कोरोना के त्रास में, गुज़रा पूरा साल ।
वैक्सीन ले आ गई, आशा भरा गुलाल।।
जंगल हरियाले हुए, बाग हुए रंगीन।
सरसों फूली खेत में, शहर स्वयं में लीन।।
धीरे-धीरे बढ़ रहा, सूरज वाला ताप ।
कानों में पड़ने लगी, फागुन की पदचाप।।
मुक्ति रजाई से मिली, हुई कुनकुनी धूप।
निखरा-निखरा लग रहा, मौसम का यह रूप।।
माघ शुक्ल की पंचमी, प्रकृति करे श्रृंगार ।
वर देती वागीश्वरी, विद्या का उपहार।।
"वर्षा" की शुभकामना, रहें सभी ख़ुशहाल।
अपनेपन का, प्रेम का, मौसम रहे बहाल।।
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अद्भुत सृजनात्मकता वर्षा जी ! प्रकृति का और जनमानस का सूक्ष्म वर्णन बहुत कुशलता और सुन्दरता से उभर कर आया है दोहों में । मानव मन और प्रकृति की कुशल चितेरी हैं आप 🙏🌹🙏
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद प्रिय मीना जी... आपने मेरे सृजन को सराहा यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। 🙏
हटाएंऋतुराज और आधुनिक समाज के मेलबंध से उभरती हुई रचना मुग्ध करती है, दोहों का सृजन असाधारण है, बधाई हो आदरणीया साधुवाद सह।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सान्याल जी, आपकी टिप्पणी ने मेरा उत्साहवर्धन किया बहुत धन्यवाद 🙏
हटाएंप्रणय दिवस के अवसर पर सार्थक दोहे।।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंबहुत सुन्दर प्रश्न करते समसामयिक यथार्थ पूर्ण दोहे..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया तहेदिल से, प्रिय जिज्ञासा जी 🙏
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।
हार्दिक आभार आदरणीय 🙏
हटाएंसमसामयिक प्रसंग पर समसामयिक बिम्बों से युक्त शानदार दोहे!!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई 🌹🙏🌹
बहुत धन्यवाद तहेदिल से प्रिय बहन शरद ❤️
हटाएंसारे दोहे एक से बढ़ कर एक । समसामयिक रचे हैं ।
जवाब देंहटाएंयुवा नहीं पहचानते, सेमल और पलाश।
नेट-चैट पर है टिकी, उनकी सकल तलाश।।
सटीक और सटाक से लगा ।
आदरणीया संगीता स्वरुप ( गीत ) जी,
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम् 🙏
एक लम्बी अवधि के बाद ब्लॉग जगत में आपके पुनरा्गमन करने और मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏
अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी के ज़रिए आपकी उपस्थिति को महसूस करना वाकई शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकने वाला अहसास है।
बस यही कहना चाहूंगी कि इसी तरह ब्लॉग जगत से सम्बद्ध रह कर हम सभी का मार्गदर्शन करती रहें।
मेरे दोहों को पसन्द करने के लिए हृदयतल की गहराइयों से आपके प्रति हार्दिक धन्यवाद 🙏
सादर,
शुभकामनाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
आपके स्नेह और आदर के लिए आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह
संगीता स्वरूप
बहुत सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ज्योति देहलीवाल जी 🙏
हटाएंआज तो आपने हाई टेक ग़ज़ल लिख डाली...वाह डा. वर्षा जी
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया अलकनंदा जी 🙏
हटाएंनिवेदन करना चाहूंगी कि ये ग़ज़ल नहीं दोहे हैं।
बहुत सुंदर रचना बधाई आपको आदरणीय
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शकुंतला जी 🙏
हटाएंवाह ! आदरणीया वर्षा जी, वाह !
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद मीना शर्मा जी 🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी 🙏
हटाएंहैशटैग में प्रेम...वाह!गज़ब के दोहे आदरणीय दी।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत शुक्रिया प्रिय अनीता जी 🙏
हटाएंवाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंशानदार गजल
बधाई
अरे नहीं आदरणीय ज्योति खरे जी, शानदार ग़ज़ल नहीं... दोहे कहिए ...
हटाएंइन्हें पसन्द करने के लिए शुक्रिया तहेदिल से 🙏
वाह ! वसंत के आगमन पर सुंदर मनमोहक दोहे, वर्तमान और अतीत को एक साथ समेटते हुए से !
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीया अनिता जी 🙏
हटाएंलाजवाब दोहे, बहुत खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ज्योति सिंह जी 🙏
हटाएंसहज शब्दों में सरल बात खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया संजय भास्कर जी 🙏
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