Dr. Varsha Singh |
प्रिय ब्लॉग पाठकों,
कोरोना से अभी हम मनुष्यों को निज़ात नहीं मिल पाई है और बर्ड फ्लू यानी पक्षियों में इन्फ्लूएंजा वायरस से होने वाली बीमारी के समाचार लगातार आने लगे हैं। प्रस्तुत हैं इसी संदर्भ में प्रार्थना स्वरूप मेरे दस दोहे -
रोगमुक्त हों जीव
- डॉ. वर्षा सिंह
रोग - संक्रमण से भरा, आया कैसा दौर ।
पक्षी बिन सूना लगे, वन, उपवन, हर ठौर ।।1।।
चिन्तन, सोच-विचार कर, करें इस तरह यत्न।
संकट से हों मुक्त सब, जग के पक्षी- रत्न ।।2।।
हम मानव इस हेतु यदि, मिल-जुल कर हों एक।
कर पाएंगे हम तभी, नवयुग का अभिषेक ।।3।।
काक, गरुड़, शुक, क्रौंच की, कथा सुनाते ग्रंथ।
पक्षी हो कर भी हमें, दिखलाते ये पंथ ।।4।।
कोयल का सुन स्वर मधुर, मन आनंदित होए ।
"पियू" पपीहा जब रटे, विरही मन में रोए।।5।।
मैना, गौरया जहां, बुलबुल गीत सुनाए ।
छांह सुखों की हो वहां, पास नहीं दुख आए ।।6।।
नीलकंठ-दर्शन मिलें, दिवस सार्थक होए ।
मिले स्वाति-जल, तृप्ति से, चातक खुशियां बोए ।।7।।
पिंजरे में रखना नहीं, पक्षी को कर बंद ।
छिन्न- भिन्न हो जाएगा, जीवन का हर छंद ।।8।।
लुप्त न हों संसार से, पक्षी चहकें डाल ।
उड़ें गगन में पंख ले, नीले, पीले, लाल ।।9।।
"वर्षा" की यह प्रार्थना, रोगमुक्त हों जीव ।
मानव के शुभकर्म सब, हों साकार, सजीव ।।10।।
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जवाब देंहटाएंसामयिक और ज्वलन्त समस्या पर रचे गये सुन्दर दोहे।
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