Dr. Varsha Singh |
लॉकडाउन 3.0 कल यानी 04 मई से दो सप्ताह के लिए शुरू हो रहा है... तो लॉकडाउन के इस तीसरे चरण के संदर्भ में प्रस्तुत है मेरा यह बुंदेली गीत...
कोरोना को नाग बिषैलो
- डॉ. वर्षा सिंह
इकनी, दुकनी, तिरका तीन।
लॉकडाउन की बज रई बीन।
कोरोना को नाग बिषैलो,
ईको फन ऐसो है फैलो,
कोऊ निकट ने आ-जा पा रऔ
दूरई से सब बोलत 'हैलो',
तारा डार घरे सब बैठे,
घुम-घुमाई लई सब छीन।
लॉकडाउन की बज रई बीन...
सूनी गलियां, सूनी बस्ती
एकई जैसे सांझ-सकारे,
कुल्ल दिना होबे खों आए
घर के भीतर पलका पारे,
टीवी, पेपर, मोबाईल पे
कोरोना के मुदके सीन।
लॉकडाउन की बज रई बीन...
जैसोे बखत कटो है अब लौं
ऊंसई आंगे कट जैैहे जो,
धीरज धरने परहे भारी
कब लौं लॉकडाउन रैहे जो,
"वर्षा" सोस-फिकर नई करने,
रहियो राम - नाम में लीन।
लॉकडाउन की बज रई बीन...
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इसे आज दिनांक 03.05.2020 के अंक में प्रकाशित करने हेतु युवाप्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=31267
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