Dr. Varsha Singh of |
प्रस्तुत है मेरा एक गीत जिसे web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 01 मई 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में मेरी ग़ज़ल इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
गीत
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श्रम एव जयते
- डॉ. वर्षा सिंह
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श्रम एव जयते
- डॉ. वर्षा सिंह
श्रम ही पूजा, श्रम अर्चन है।
श्रम का वंदन, अभिनंदन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
श्रम का वंदन, अभिनंदन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
श्रम से ही सब कुछ हासिल है
करे न श्रम जो वह बुजदिल है
श्रम ही सांसें, श्रम जीवन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
करे न श्रम जो वह बुजदिल है
श्रम ही सांसें, श्रम जीवन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
श्रम से ही सब कुछ सम्भव है
श्रम निर्मित सारा वैभव है
श्रम चंदन जैसा पावन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
श्रम निर्मित सारा वैभव है
श्रम चंदन जैसा पावन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
जाने कितने शिलालेख हैं
श्रम की गाथायें अनेक हैं
श्रम का गीत सदा नूतन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
श्रम की गाथायें अनेक हैं
श्रम का गीत सदा नूतन है।
श्रम एव जयते, श्रम एव जयते ।।
🙏
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