प्रिय मित्रो,
हृदय पर शिला रख कर यह दुखद समाचार आप सबसे शेयर कर रही हूं कि मेरे इकलौते सगे मामा जी कमल सिंह, जिन्हें हम “भाई” कह कर पुकारते रहे हैं, का स्वर्गवास परसों दिनांक 20.01.2017 को हो गया. कल दिनांक 21.01.2017 को चितौरा घाट, बेबस नदी के प्रवाह में खारी विसर्जन के उपरांत आज दिनांक 22.01.2017 को बरमान घाट, नर्मदा मैया के पवित्र जल में उनकी अस्थि- विसर्जन कर उन्हें महाविदा दी जा रही है. वर्ष 1966 से आदिम जाति कल्याण विभाग, म.प्र. शासन में शहडोल, सीधी, मंडला,डिंडौरी जि़लों के अनेक स्थानों पर यथा- बेनीबारी, कोतमा, बिजुरी, अमझोर, बगदरा, विक्रमपुर , भरवेल आदि में पहले शिक्षक, फिर व्याख्याता, फिर प्राचार्य पदों पर रहते हुए कुशलतापूर्वक अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए वर्ष 2000 में सेवानिवृत्ति के उपरांत से वे हमलोगों के साथ ही सागर में निवासरत रहे. उनका अपना परिवार बस हम ही लोग थे… न मामी.... न बच्चे… सब उनसे पहले ही अंतिम विदा ले चुके थे.
अपने जीवन के अंतिम दिन 20.01.2017 को रोजाना की तरह कमल मामा… हमारे प्यारे भाई विगत परसों सुबह 9 बजे मार्निंगवॉक पर स्वयं के पैरों पर चल कर गये…. और लौटे शव वाहन में….इस अवधि में तिली अस्पताल में “ठीक हूं” कहते हमें आशा बंधाते हुए उन्होंने हम से अंतिम विदा ले ली...उनके “ठीक हूं” के अंतिम शब्द के दो मिनट बाद ही डॉक्टर के शब्द “ एक्सपायर हो गये हैं ”.... एकदम अविश्वसनीय… किन्तु हृदयविदारक कटु सत्य… इस शोक से उबरना सहज नहीं हो पा रहा है… उनका साया हमलोगों पर से हमेशा के लिए उठ गया…बहाना कुछ भी कहें...हार्ट अटैक या…गिरने पर कोई अंदरूनी जानलेवा आघात .... परसों तक बिलकुल स्वस्थ और प्रसन्नचित्त भाई यानी हमारे कमल मामा अब हमारे बीच नहीं हैं….
उनके सरल स्वभाव से पन्ना नगर, शहडोल, सीधी, मंडला, डिंडौरी…. यहां सागर में सागर, मकरोनिया, रजाखेड़ी के रहवासी परिचित हैं… किसी ने कहा- “आज की दुनिया में मामा जी जैसा इतना सीधा- सच्चा भी नहीं होना चाहिए ..” और हमारे सीधे- साधे बच्चों जैसे सरल स्वभाव वाले “भाई” ने हमसे अंतिम विदा ले ली है…
मेरे प्रिय मित्रो, ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें …... ऊं शांति, शांति, शांति….
हृदय पर शिला रख कर यह दुखद समाचार आप सबसे शेयर कर रही हूं कि मेरे इकलौते सगे मामा जी कमल सिंह, जिन्हें हम “भाई” कह कर पुकारते रहे हैं, का स्वर्गवास परसों दिनांक 20.01.2017 को हो गया. कल दिनांक 21.01.2017 को चितौरा घाट, बेबस नदी के प्रवाह में खारी विसर्जन के उपरांत आज दिनांक 22.01.2017 को बरमान घाट, नर्मदा मैया के पवित्र जल में उनकी अस्थि- विसर्जन कर उन्हें महाविदा दी जा रही है. वर्ष 1966 से आदिम जाति कल्याण विभाग, म.प्र. शासन में शहडोल, सीधी, मंडला,डिंडौरी जि़लों के अनेक स्थानों पर यथा- बेनीबारी, कोतमा, बिजुरी, अमझोर, बगदरा, विक्रमपुर , भरवेल आदि में पहले शिक्षक, फिर व्याख्याता, फिर प्राचार्य पदों पर रहते हुए कुशलतापूर्वक अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए वर्ष 2000 में सेवानिवृत्ति के उपरांत से वे हमलोगों के साथ ही सागर में निवासरत रहे. उनका अपना परिवार बस हम ही लोग थे… न मामी.... न बच्चे… सब उनसे पहले ही अंतिम विदा ले चुके थे.
अपने जीवन के अंतिम दिन 20.01.2017 को रोजाना की तरह कमल मामा… हमारे प्यारे भाई विगत परसों सुबह 9 बजे मार्निंगवॉक पर स्वयं के पैरों पर चल कर गये…. और लौटे शव वाहन में….इस अवधि में तिली अस्पताल में “ठीक हूं” कहते हमें आशा बंधाते हुए उन्होंने हम से अंतिम विदा ले ली...उनके “ठीक हूं” के अंतिम शब्द के दो मिनट बाद ही डॉक्टर के शब्द “ एक्सपायर हो गये हैं ”.... एकदम अविश्वसनीय… किन्तु हृदयविदारक कटु सत्य… इस शोक से उबरना सहज नहीं हो पा रहा है… उनका साया हमलोगों पर से हमेशा के लिए उठ गया…बहाना कुछ भी कहें...हार्ट अटैक या…गिरने पर कोई अंदरूनी जानलेवा आघात .... परसों तक बिलकुल स्वस्थ और प्रसन्नचित्त भाई यानी हमारे कमल मामा अब हमारे बीच नहीं हैं….
उनके सरल स्वभाव से पन्ना नगर, शहडोल, सीधी, मंडला, डिंडौरी…. यहां सागर में सागर, मकरोनिया, रजाखेड़ी के रहवासी परिचित हैं… किसी ने कहा- “आज की दुनिया में मामा जी जैसा इतना सीधा- सच्चा भी नहीं होना चाहिए ..” और हमारे सीधे- साधे बच्चों जैसे सरल स्वभाव वाले “भाई” ने हमसे अंतिम विदा ले ली है…
मेरे प्रिय मित्रो, ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें …... ऊं शांति, शांति, शांति….
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