Dr Varsha Singh |
माथे सदा लगाइये, जन्मभूमि की धूल।
तन-मन के भीतर खिले, देशभक्ति का फूल।। 1।।
जीवन की है आस्था मिट्टी, पानी, धूल।
इन्हें त्यागने की कभी करना मत तुम भूल।। 2 ।।
अंतर मिट्टी-धूल में करना सहज समान
जैसे मानव की बने रंग, रूप, पहचान।। 3 ।।
धूलि गांव की स्वर्ण-सी, सदा लगाओ माथ।
मां के आशीर्वाद-सी, देती हरदम साथ ।। 4 ।।
श्रद्धा, भक्ति, सनेह की देती है जो सीख।
मूल्यवान है धूल ये कहीं न मिलती भीख ।। 5 ।।
धूल सरीखी जि़न्दगी, जिसे संवारे धूल ।
माथे इसे लगाइये, यह जीवन की मूल ।। 6 ।।
मिट्टी काली, लाल है, लेकिन धूल सफेद ।
श्रम तब तक यूं कीजिए, देह गिरे जब स्वेद।। 7।।
पंचतत्व में एक है, मिट्टी प्राण समान।
यही कराती है हमें, देशभक्ति का ज्ञान।। 8 ।।
धूल हमें देती सदा, देश प्रेम की चाह।
बैर न करना धूल से, तभी मिलेगी राह।। 9 ।।
"वर्षा" ने हरदम किया, महिमा धूलि बखान।
धूल सदा निज देश की, लगती हमें महान।। 10।।
- डॉ. वर्षा सिंह
कमाल का शब्द पिरोये हो ... आप की खूबसूरती लब्ज में मैं खो गयी .. ऐसे ही लिखते रहिये .. ईश्वर ने जैसे सुन्दर बनाया आपको वैसे ही सुन्दर रचना करते रहिये .. Sameera Bhagwat
जवाब देंहटाएंPlease also type the meaning of them. I want to write it for my holiday homework. Please
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