कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
बहुत उम्दा!! अच्छी लगी रचना!!
मन के उथल -पुथल को चित्रित करने में सफल हुई है आपकी यह रचना ,मेरे भी ब्लॉग पर आये
खूबसूरत
सोचता हूँ टिपण्णी करूँ या ना करूँ रचना पढ़ते ही दिल से निकली वाह वाह वाह वाह खूबसूरत
Bahut khoobsoorat!
खूबसूरत रचना....
wonderful.....
ye andaj bhee behtarin hai...sadar badhayee ke sath
सुंदर भाव ...शुभकामनायें ...!!
Waah! bahut khub!
बहुत खूब.
प्रेम का वार्तालाप ... स्वयं का स्वयं से ... अनुपम ...
सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.htmlhttp://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html
बहुत उम्दा ! प्रेम के भाव मन में न रख अभिव्यक्त कर ही देने चाहिए। अपनी असमंजस को बहूबी बयां किया है आपने ! बधाई !
बहुत उम्दा!! अच्छी लगी रचना!!
जवाब देंहटाएंमन के उथल -पुथल को चित्रित करने में सफल हुई है आपकी यह रचना ,मेरे भी ब्लॉग पर आये
जवाब देंहटाएंखूबसूरत
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ टिपण्णी करूँ या ना करूँ
जवाब देंहटाएंरचना पढ़ते ही दिल से निकली
वाह वाह वाह वाह
खूबसूरत
Bahut khoobsoorat!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंwonderful.....
जवाब देंहटाएंye andaj bhee behtarin hai...sadar badhayee ke sath
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ...!!
Waah! bahut khub!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंप्रेम का वार्तालाप ... स्वयं का स्वयं से ... अनुपम ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंhttp://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html
बहुत उम्दा ! प्रेम के भाव मन में न रख अभिव्यक्त कर ही देने चाहिए। अपनी असमंजस को बहूबी बयां किया है आपने ! बधाई !
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