Varsha Singh
कवयित्री / शायरा डॉ. वर्षा सिंह
पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
गीत - चर्चा
मेरा परिचय My CV
फोटो गैलरी
फोटो गैलरी -2
▼
शुक्रवार, नवंबर 10, 2017
सूर्य हुआ फिर उदित
सूर्य हुआ फिर उदित
प्रकृति हो गई मुदित
कि रोशनी फैल गई
जगी उम्मीद नई
नहीं रहती कायम हरदम
अंधेरे की काली छाया
बदलती रहती है प्रतिपल
समय की गतिशाली काया
हो कब कैसे क्या - क्या
नहीं किसी को विदित
☀- डॉ. वर्षा सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें