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गुरुवार, नवंबर 29, 2018
बुधवार, नवंबर 28, 2018
I'm voted for Madhya Pradesh Legislative Election 2018
Dr. Varsha Singh |
प्रिय मित्रों,
आज 28 नवम्बर है यानी हमारे मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव मतदान दिवस। मध्यप्रदेश में विधानसभा की 230 सीटों के लिए प्रदेश के 52 जिलों में वोटिंग हो रही है। लोकतंत्र के इस महापर्व में मैंने और बहन डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने भी अपना बहुमूल्य वोट डाल कर प्रदेश के सतत् विकास की कामना की।
प्रस्तुत है मतदाता जागरूकता हेतु लिखी गई मेरी एक रचना ...
चलिये हम मतदान करें
लोकतंत्र का मान करें
चुनने को प्रतिनिधि अपना
जनजागृति का गान करें
कितनी ताकत एक वोट में
हम इसकी पहचान करें
बहकावे से दूरी रख कर
स्वविवेक का ध्यान करें
हम भारत के वासी "वर्षा"
भारत पर अभिमान करें
- डॉ. वर्षा सिंह
#ग़ज़लवर्षा
Dr. (Miss) Sharad Singh |
Dr. (Miss) Sharad Singh & Dr. Varsha Singh |
Dr. (Miss) Sharad Singh |
Dr. Varsha Singh |
Dr. (Miss) Sharad Singh & Dr. Varsha Singh |
सोमवार, नवंबर 26, 2018
डॉ. हरीसिंह गौर जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं - डॉ. वर्षा सिंह
Dr. Varsha Singh |
सागर विश्वविद्यालय जो वर्तमान में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय (केन्द्रीय) के नाम से जाना जाता है, के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर के जन्म दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! ...और धन्यवाद ‘पत्रिका’ सागर संस्करण दिनांक 26.11.2018 को, जिसने उनकी स्मृति में मेरा यह गीत प्रकाशित किया! आप भी पढ़िए इसे ...
गौर नाम है जिनका
हरीसिंह गौर नाम है जिनका
सबके दिल में रहते हैं
बच्चे बूढ़े गांव शहर सब
उनकी गाथा कहते हैं…
रोक न पाई निर्धनता भी
बैरिस्टर बन ही ठहरे
उनका चिंतन उनका दर्शन
उनके भाव बहुत गहरे
ऐसे मानव सारे दुख को
हंसते हंसते सहते हैं ...
Dr. Hari Singh Gour, Founder Sagar University, Sagar, MP, India |
शिक्षा ज्योति जलाने को ही
अपना सब कुछ दान दिया
इस धरती पर सरस्वती को
तन,मन,धन से मान दिया
उनकी गरिमा की लहरों में
ज्ञानदीप अब बहते हैं..
ऋणी सदा बुंदेली धरती
ऋणी रहेगा युवा जगत
युगों युगों तक गौर भूमि पर
शिक्षा का होगा स्वागत
ये है गौर प्रकाश कि जिसमें
अंधियारे सब ढहते हैं..
- डॉ. वर्षा सिंह
गीत- "हरीसिंह गौर नाम है जिनका"- डॉ. वर्षा सिं |
#गीतवर्षा
शुक्रवार, नवंबर 23, 2018
गुरुवार, नवंबर 22, 2018
गीत ... सुबह ताज़ा हवा में - डॉ. वर्षा सिंह
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से
सपन जो रात को देखा खुली आंखों से अक्सर
किसी को हमसफर पाया नई राहों में अक्सर
अजब सी कसमसाहट लग रहे थे बंध ढीले से
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से
शिकायत ज़िन्दगी से है, मगर क्या है न जाने
उदासी की वज़ह क्या है, कोई आए बताने
लिखे थे गीत जिस पर, लग रहे कागज वो सीले से
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से
सवालों की कतारें कम नहीं होती ज़रा भी
हुई मुश्किल नहीं दिखता जवाबों का सिरा भी
हुए हैं चाहतों के पंख मानो स्याह नीले से
नहीं गुंथ पा रहे थे चोटियों में बाल गीले से
सुबह ताज़ा हवा में झड़ रहे थे फूल पीले से
सोमवार, नवंबर 19, 2018
गीत.... क्या कीजे - डॉ. वर्षा सिंह
Dr. Varsha Singh |
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
आंखों से छलका है पानी क्या कीजे
क्या कीजे, मन भूल न पाया है कुछ भी
प्यार की मीठी बोली बानी क्या कीजे
कच्चे मन में पक्का सा उत्साह लिए
दिल मिलते बिन दुनिया की परवाह किए
गहरी गहरी सांसे लंबी आह लिए
लिख लिख कर ख़त कितने पन्ने स्याह किए
एक था राजा एक थी रानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
वीराने में गुलशन जैसी मिल जाते
सपनों वाले फूल गुलाबी खिल जाते
अनबोले से होंठ अचानक हिल जाते
घड़ी विदा की आती लम्हे खिल जाते
चुनरी- चोली सब कुछ धानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
व्यर्थ बहाने हुए सभी ने जान लिया
इश्क में डूबे दिलवाले, पहचान लिया
एक ना होने देंगे इनको, ठान लिया
जाति -धर्म के बंधन ने शमशान दिया
बात हो गई बहुत पुरानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
काश मोहब्बत के भी अच्छे दिन आएं
इसी जहां में हमराही मंजिल पाएं
दीवारों के सारे झगड़े मिट जाएं
“वर्षा”- बूंदे नई- नई खुशियां लाएं
यही हमेशा हमने ठानी क्या कीजे
याद आ गई प्रेम कहानी क्या कीजे
बुधवार, नवंबर 07, 2018
Happy Diwali शुभ दीपावली
Dr. Varsha Singh |
आज मावस की निशा
रोशनी के छंद गढ़ती आज मावस की निशा
दीप से श्रृंगार करती आज मावस की निशा
भीतियों पर सातियों की पांत, मंगल कामना
द्वार पर शुभ-लाभ लिखती आज मावस की निशा
पान, श्रीफल में, बताशे- खील, अक्षत फूल में
रूप नूतन गंध भरती आज मावस की निशा
फुलझड़ी झरती बनाती अल्पनाएं अग्नि की
अग्निपुंजों से संवरती आज मावस की निशा
शंख की ध्वनि में निनादित सामवेदी स्वर मधुर अर्चना के श्लोक पढ़ती आज मावस की निशा
कंचनी वातावरण में कार्तिक स्वर्णिम हुआ
स्वर्ण का भंडार लगती आज मावस की निशा
श्री रमा-आराधना में व्यस्त “वर्षा” नभ-धरा
भक्ति- गीतों से निखरती आज मावस की निशा
मंगलवार, नवंबर 06, 2018
Happy Roop Chaturdashi ... शुभ रूप चतुर्दशी 2018
Dr. Varsha Singh |
🍁💥 शुभ रूप चतुर्दशी 💥🍁
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदाम् ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
💥🍁🌹🍁💥
ज्योति के त्योहार में
रश्मि की मंजुल कलाएं ज्योति के त्योहार में जगमगाती तारिकाएं ज्योति के त्योहार में
धरा का श्रृंगार, स्वर्णिम हार, नख-शिख आभरण
मुग्ध बेसुध व्यंजनाएं ज्योति के त्योहार में
हासमय उल्लास, कातिक मास, मंगल कामना नेहा-सिंचित भावनाएं ज्योति के त्योहार में
धूप-अक्षत-पान, सुख का गान, आंगन द्वार पर इंद्रधनुषी अल्पनाएं ज्योति के त्योहार में
फूल बिजली के खिले, दीपक जले अमावस निशा
गूंजती पावन ऋचाएं ज्योति के त्योहार में
अर्चना-आराधना श्री लक्ष्मी की वंदना
आरती करती दिशाएं ज्योति के त्योहार में
रूप की “वर्षा” नई आशा नए संकल्प से
झूमती नव वर्तिकाएं ज्योति के त्योहार में
- डॉ. वर्षा सिंह
सोमवार, नवंबर 05, 2018
रविवार, नवंबर 04, 2018
ग़ज़ल ... मिल के दीपावली मनानी है - डॉ. वर्षा सिंह
Dr. Varsha Singh |
हमने दिल में ये आज ठानी है
एक दुनिया नयी बसानी है
जिनके हाथों में क़ैद है क़िस्मत
हर ख़ुशी उनसे छीन लानी है
दिल के सोये हुए चिरागों में
इक नयी रोशनी जगानी है
जंगजूओं की महफ़िलों में हमें
प्यार की इक ग़ज़ल सुनानी है
लाख जौरे- सितम किये जायें
अम्न की आरती सजानी है
हिन्द की सर ज़मीन जन्नत है
इस पे क़ुरबान हर जवानी है
ईद का जश्न हम मनायेंगे
मिल के दीपावली मनानी है
दहशतों से भरा हुआ है चमन
एकता की कली खिलानी है
तआरुफ़ पूछिए न “वर्षा” का
बादलों- बूंद की कहानी है
गुरुवार, नवंबर 01, 2018
मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं - डॉ. वर्षा सिंह
Dr. Varsha Singh |
प्रदेश एवं देशवासियों को इस अवसर पर हमारे मध्यप्रदेश गान के साथ हार्दिक शुभकामनाएं
मध्यप्रदेश गान
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है।
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।
विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है,
यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है,
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,
स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।
चंबल की कल-कल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,
खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की,
भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,
अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,
महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां,
कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है,
ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।
(रचयिता - महेश श्रीवास्तव )