Dr. Varsha Singh |
हमने दिल में ये आज ठानी है
एक दुनिया नयी बसानी है
जिनके हाथों में क़ैद है क़िस्मत
हर ख़ुशी उनसे छीन लानी है
दिल के सोये हुए चिरागों में
इक नयी रोशनी जगानी है
जंगजूओं की महफ़िलों में हमें
प्यार की इक ग़ज़ल सुनानी है
लाख जौरे- सितम किये जायें
अम्न की आरती सजानी है
हिन्द की सर ज़मीन जन्नत है
इस पे क़ुरबान हर जवानी है
ईद का जश्न हम मनायेंगे
मिल के दीपावली मनानी है
दहशतों से भरा हुआ है चमन
एकता की कली खिलानी है
तआरुफ़ पूछिए न “वर्षा” का
बादलों- बूंद की कहानी है
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